MP News: भारत में रोशनी का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाया जाता है. दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है. महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन से करीब 70 किलामीटर दूर बड़नगर तहसील के ग्राम भिडावद में गोवर्धन पूजा पर अनूठी परंपरा का पालन किया जाता है. जमीन पर लेटे लोगों के ऊपर से गायों को निकाला जाता है. अनोखी परंपरा को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मन्नत पूरी होने के बाद या मन्नत मांगने के लिए लोग परंपरा का निर्वहन करते हैं.
मन्नत पूरी होने पर लोग जमीन पर गायों के सामने लेट जाते हैं. ग्रामीणों की मान्यता है कि गौ माता सुख समृद्धि और शांति का प्रतीक है. रतलाम, मंदसौर समेत अन्य जिलों में भी दीपावली के बाद धार्मिक मान्यता का पालन किया जाता है. लोग दहकते अंगारों पर चलकर वर्षों पुरानी परंपरा को निभाते हैं. परंपरा को निभाने के दौरान लोगों की जान का जोखिम रहता है. धार्मिक मान्यता के नाम पर लोग परंपरा का पालन करते हैं. कई जिलों में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल वर्षों से जारी है.
जान जोखिम में डालकर निभाई जाती है परंपरा
जान जोखिम में डालने वाले आयोजनों पर रोक लगाने का प्रयास कभी नहीं हुआ. प्रशासन की आखों के सामने जान जोखिम में डालने वाले आयोजन होते हैं. हैरानी की बात है कि आयोजनों को सफल बनाने के लिए गांव में पुलिस तक का इंतजाम किया जाता है. पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू भी मानते हैं कि दीपावली पर्व के बाद कुछ ऐसी परंपरा निभाई जाती हैं, जिसमें लोगों की जान को खतरा हो सकता है. ऐसे में उज्जैन जिला प्रशासन को सक्रिय होकर रोकथाम के लिए कुछ कदम उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि धर्म से जुड़ा मामला संवेदनशील होता है. इसलिए लोगों की धार्मिक आस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.
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