(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gyanvapi Verdict: ज्ञानवापी पर फैसला आने के बाद उमा भारती बोलीं- 'अयोध्या, मथुरा और काशी हिंदुओं को...'
Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर फैसला आने के बाद मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का जो फैसला आया है, वह सुखद है.
Uma Bharti on Gyanvapi Verdict: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को 'शिवलिंग' और पूरे 'वजूखाना' क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की थी. मस्जिद का क्षेत्र मई 2022 से ही सील है, लेकिन अब जिला अदालत ने ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा-पाठ करने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने सात दिनों में जिला प्रशासन को इसके लिए व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. ज्ञानवापी पर फैसला आने के बाद राजनेता अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम उमा भारती ने भी प्रतिक्रिया दी हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला काफी सही है. वह इस फैसले से खुश हैं.
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम उमा भारती ने ज्ञानवापी पर आए फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ''ज्ञानवापी पर वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का फैसला आया है वह सुखद है, मैंने स्वयं 1993 में ज्ञानवापी की दीवारों पर अंकित मूर्तियों की पूजा की है. 1991 में भी मैंने संसद में यह प्रस्ताव रखा था कि अयोध्या, मथुरा, काशी तीनों को हिंदुओं को सौंप दीजिए. माननीय वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले के बाद मैं फिर से अनुरोध करुंगी कि अयोध्या की ही तरह मथुरा और काशी में भी मूल स्थान पर मंदिर बने और पूजा का अधिकार मिले. इसलिए इन्हें हिंदुओं को सौंप दीजिए, यही संपूर्ण समाधान है.''
1. ज्ञानवापी पर वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का फैसला आया है वह सुखद है, मैंने स्वयं 1993 में ज्ञानवापी की दीवारों पर अंकित मूर्तियों की पूजा की है।
2. 1991 में भी मैंने संसद में यह प्रस्ताव रखा था कि अयोध्या, मथुरा, काशी तीनों को हिंदुओं को सौंप दीजिए।
3. माननीय वाराणसी…
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केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने क्या कहा?
बिहार के बेगूसराय से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हिंदू अपने ही अधिकारों से वंचित रहा है. उन्होंने कहा, ''माननीय न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है. ज्ञानवापी में वाराणसी कोर्ट का उत्तम फैसला, हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी में बेसमेंट में पूजा करने की अनुमति मिली." तो वहीं हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ''हम इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट फाइल करेंगे. अगर कोर्ट इसकी सुनवाई करेगी तो हम वहां पर तैयार रहेंगे.'' उन्होंने आगे कहा, ''इस मामले में व्यास तहखाने में पूजा पाठ की इजाजत मांगी गई थी. सोमनाथ व्यास का परिवार साल 1993 तक तहखाने में पूजा-पाठ करता था. साल 1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश के इस तहखाने को बंद कर दिया था. एएसआई सर्वे की कार्रवाई के दौरान इस तहखाने की साफ-सफाई की गई थी." बता दें कि कोर्ट ने फैसला दिया है कि जिला प्रशासन सात दिन के अंदर पूजा-पाठ कराने की व्यवस्था करें. पूजा कराने का काम काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा. साथी ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा.
क्या है कोर्ट का आदेश?
वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा-पाठ करने की इजाजत दे दी है. इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष को फिर से तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार मिल गया है. साथ ही कोर्ट ने सात दिनों के अंदर प्रशासन को व्यवस्था करने का आदेश भी दिया है. ज्ञानवापी का मामला ये हैं कि पिछले साल चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में पूजा-पाठ की इजाजत की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की थी. तो वहीं वाराणसी के एक निचली अदालत में एक अर्जी दाखिल किया गया. अर्जी में कहा गया कि सर्वे कराके पूरे मामले को सुलझाया जाए. इसके बाद लगभग आठ महीने के बाद अप्रैल, 2022 को आदालत ने सर्वेक्षण करने और उसकी वीडियोग्राफी के आदेश दे दिए. जिसको लेकर मस्जिद इंतजामिया ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था.
मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
कोर्ट के इस आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा कि आज जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे कर अपना अंतिम फैसला दे दिया है. अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस फैसले से मायूसी जरूर है, लेकिन अभी ऊपर अदालतों का रास्ता खुला है. जाहिर है कि हमारे वकील इस फैसले को चुनौती देंगे.
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