Vaikuntha Chaturdashi 2022: भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain) में वैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi) के अवसर पर भगवान शिव और विष्णु का अद्भुत मिलन होता है. वैकुंठ चतुर्दशी से सृष्टि का भार भगवान विष्णु के पास एक बार फिर आ जाता है. इस दौरान भगवान शिव खुद विष्णु के मंदिर पहुंचते हैं. भगवान महाकाल (Mahakal) और द्वारकाधीश (Shree Dwarkadhish Temple) के मिलन को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.


कैलाश में विराजमान होने जाएंगे भगवान शिव
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि देवसुनी ग्यारस (Devudni Gyaras) से वैकुंठ एकादशी तक भगवान शिव के पास सृष्टि का भार रहता है. वैकुंठ चतुर्दशी पर हरि और हर का मिलन होता है. रविवार को भगवान महाकाल की सवारी मंदिर से निकलकर द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेगी. यहां पर मध्यरात्रि भगवान शिव और विष्णु की पूजा होगी. पंडित आशीष गुरु के मुताबिक, देवसुनी ग्यारस सृष्टि का भार उठा रहे भगवान शिव आज भगवान विष्णु को भार सौंपेंगे और खुद कैलाश पर्वत की ओर रवाना होंगे. 


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इस धार्मिक परंपरा का उज्जैन में भी सांकेतिक पालन किया जाता है. इसी के चलते मध्य रात्रि को भगवान शिव और विष्णु की अद्भुत आरती होती है. इस आरती में भगवान शिव को तुलसी की माला पहनाई जाएगी, जबकि भगवान विष्णु को बेलपत्र की माला पहना कर आरती होगी. इसके बाद भगवान महाकाल की सवारी एक बार फिर महाकालेश्वर मंदिर के लिए रवाना होगी.


हरिहर मिलन में आतिशबाजी और हिंगोट पर प्रतिबंध 
एडीएम संतोष टैगोर ने रविवार को अर्ध रात्रि में आयोजित होने वाले हरिहर मिलन के अवसर पर आमजन के जानमाल की सुरक्षा की दृष्टि से भगवान महाकाल की रात्रि में निकलने वाली सवारी जो गोपाल मंदिर तक जाती है और हरिहर मिलन के दौरान समस्त प्रकार की आतिशबाजी और हिंगोट चलाने पर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए हैं. इस आदेश का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाएगी.