Vivek Tankha Defamation Case: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री भूपेंद्र सिंह और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के खिलाफ दायर 10 करोड़ की मानहानि के मामले को में आज शनिवार को राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने जबलपुर की जिला अदालत में अपने बयान दर्ज कराए. तंखा ने अदालत से यह भी गुजारिश की कि उनके साथ न्याय होना चाहिए. इस दौरान विवेक तंखा की तरफ से पैरवी करने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी जबलपुर की जिला अदालत पहुंचे. माना जा रहा है कि इस मामले में सीएम चौहान सहित बाकी दो बीजेपी नेताओं की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं.


अदालत में क्या बोले तंखा
जिला अदालत में गवाही के दौरान विवेक तंखा की ओर से अदालत में बताया गया कि मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण मामले पर सुनवाई के बाद बीजेपी के नेताओं ने बिना तथ्यों को जाने उनकी मानहानि करते हुए गंभीर आरोप लगाये थे. इससे उनकी छवि पूरे देश में धूमिल हुई थी. विवेक तंखा ने कहा कि मुझे देश में ओबीसी विरोधी बताया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने जो पिटीशन लगाई थी, उसमें ओबीसी आरक्षण या ओबीसी से संबंधित कोई बात नहीं कही गई थी. तंखा ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ ये कहा था कि पंचायत चुनाव संवैधानिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए. इसके बावजूद बीजेपी के नेताओं ने बिना तथ्यों को जाने उन पर गंभीर आरोप लगाए.


मेरे साथ गलत हुआ, मुझे न्याय मिलना चाहिए
गवाही पूरी होने के बाद विवेक तंखा ने कहा, "अदालत में मेरा स्टेटमेंट पूरा हो चुका है. कोर्ट ने मेरी बात विस्तार से सुनी है. मेरे साथ गलत हुआ है और मुझे न्याय मिलना चाहिए." इस दौरान राज्यसभा के सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने विवेक तंखा के पक्ष में जबलपुर की जिला अदालत में आज पैरवी की है. आज विवेक तंखा के बयान रिकॉर्ड किए गए. इसके बाद आगे की कार्रवाई स्थगित हो गई.


क्या था पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण को रद्द किए जाने के आदेश के बाद बीजेपी नेताओं ने तंखा को ओबीसी विरोधी नेता बताया था. साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी. इस दौरान विवेक तंखा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत और निकाय चुनाव में रोटेशन और परिसीमन को लेकर पैरवी की थी. उस वक्त बीजेपी नेताओं की तमाम बयानबाजी के बीच राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने भी अपनी सफाई देते हुए बयान जारी किया था. इसके बाद विवेक तंखा द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा और मंत्री भूपेंद्र सिंह को नोटिस भेजकर उनकी मानहानि करने का आरोप लगाया और साथ ही उनसे माफी मांगने को कहा. कानूनी नोटिस के बावजूद जब बीजेपी के तीनों नेताओं ने माफी नहीं मांगी तो उनके खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा दायर किया गया.


यह भी पढ़ें:


Indore News: नारकोटिक्स विभाग की बड़ी कार्रवाई, ट्रक से बरामद की ढाई करोड़ की अफीम, आरोपी गिरफ्तार