Vyapam Scam: व्यापम घोटाले में दो डॉक्टरों को चार-चार साल की सजा, ग्वालियर की स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला
MP News: बहुचर्चित व्यापम घोटाले में अलग-अलग धाराओं में दो डॉक्टरों को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई गई है और जुर्माना भी लगाया गया है. स्पेशल कोर्ट ने दोनों को दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया.
Vyapam Scam MP: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले में पहली बार दो डॉक्टरों को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई गई है. विशेष न्यायालय (सीबीआई, ग्वालियर) अजय सिंह ने प्री-पीजी परीक्षा में फर्जीवाड़े में दोषी पाए जाने पर डॉ. आशुतोष गुप्ता और डॉ. पंकज गुप्ता को 4-4 साल की सजा सुनाई है. अलग-अलग धाराओं में दोनों आरोपी पर 13 हजार 100 का जुर्माना भी लगाया गया है. माना जा रहा है कि ये पहला अवसर है, जब व्यापम के किसी केस में सीबीआई के विशेष न्यायालय ने एक साथ दो डॉक्टरों को सजा दी है.
इस केस की एक खास बात ये है कि प्री-पीजी परीक्षा में फर्जीवाड़े का खुलासा 2015 में पुलिस को भेजे गए एक गुमनाम पत्र से हुआ था. मुरैना निवासी कथित समाज सेवक मंगू सिंह के नाम से लिखे गए पत्र में बताया गया था कि 2009 में आयोजित प्री- पीजी परीक्षा में डॉ. आशुतोष गुप्ता के स्थान पर सॉल्वर ने परीक्षा दी थी. सॉल्वर की व्यवस्था डॉ. पंकज गुप्ता के माध्यम से की गई थी. हालांकि, पुलिस मंगू सिंह को आज तक ढूंढ नहीं पाई है. वहीं, फैसले वाले दिन डॉ. आशुतोष गुप्ता (निवासी ग्वालियर) गैरहाजिर रहे. कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर वारंट जारी कर दिया है. दूसरी ओर, डॉ. आशुतोष के स्थान पर प्री-पीजी परीक्षा देने वाले सॉल्वर को भी ढूंढने में पुलिस असफल रही.
विशेष लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा के मुताबिक 12 अप्रैल 2009 को जबलपुर में आयोजित प्री-पीजी परीक्षा में डॉ. आशुतोष गुप्ता के स्थान पर सॉल्वर ने परीक्षा दी थी.सॉल्वर का प्रबंध डॉ. पंकज गुप्ता के माध्यम से सुरेंद्र वर्मा ने कराया था. इस काम के एवज में डॉ. आशुतोष ने कुल 15 लाख रुपए दिए थे. इसमें से 30 हजार रुपए डॉ. पंकज गुप्ता ने कमीशन के रूप में रखे और शेष राशि सुरेंद्र वर्मा को दी थी. हालांकि, सीबीआई जांच के दौरान सुरेंद्र के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले. इस वजह से उसके खिलाफ चालान पेश नहीं किया गया.
विशेष लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा के मुताबिक अलग-अलग राइटिंग से यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आया था. परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डॉ. आशुतोष ने गजराराजा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया था. इस दौरान उसने कॉलेज प्रबंधन को आवेदन लिखा और कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी किए. इसका मिलान जब ओएमआर शीट से किया गया, तो राइटिंग भिन्न मिली थी.