जबलपुर: द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand saraswati) का निधन रविवार को दोपहर में हो गया है.शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देवलोक गमन के बाद उनके उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा तेज हो गई है. उनके उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा आज हो सकती है.उत्तराधिकारी की घोषणा के बाद संत समाज द्वारका और ज्योतिष पीठ पर फैसला लेगा. उनके उत्तराधिकारी के रूप में दो लोगों के नाम की चर्चा तेज है.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 साल के थे.उन्हें सोमवार को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी.
कब बने थे शंकराचार्य
स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे.ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे. उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली. वो द्वारिका पीठ के साथ-साथ उत्तरखंड के जोशीमठ की ज्योतिषपीठ के भी शंकराचार्य थे. ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य की पदवी उन्हें एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिली थी.शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद अब उनके उत्तराधिकारी की चर्चा तेज हो गई है.
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कौन बन सकता है उत्तराधिकारी
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का उत्तराधिकारी द्वारका और ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य होगा. द्वारका शारदा पीठ के उनके उत्तराधिकारी के रूप में दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज का नाम सबसे आगे है. वहीं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के रूप में दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के नाम की चर्चा है. दोनों को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का प्रमुख शिष्य माना जाता है.माना जा रहा है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती इनके नामों की परंपरागत तरीके से वसीयत कर चुके हैं.
कहां दी जाएगी भू समाधि
नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम के मुताबिक गोटेगांव स्थित उनकी तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में सोमवार दोपहर शाम भू समाधि दी जाएगी.शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती डायलिसिस पर थे. पिछले कुछ महीनों से वो वेंटिलेटर पर थे. उनके आश्रम में ही उनके इलाज की व्यवस्था की गई थी.
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