Madhya Pradesh New Cabinet: हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हिंदी पट्टी के तीनों सूबों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बहुमत हासिल करते हुए सरकार बनाई है. तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन करते हुए नए चेहरों का चुनाव किया है. साथ ही साथ तीनों राज्यों में एक मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्रियों वाला फॉर्मूला भी बीजेपी ने लगाया है. यानी तीनों राज्यों में बीजेपी की रणनीति लगभग एक जैसी ही रही है.


अब जब आज यानी सोमवार को मध्य प्रदेश में नई कैबिनेट शपथ लेने ही वाली है तो यहां भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल वाला फॉर्मूला मध्य प्रदेश में भी दोहरा सकती है. यानी जैसा मंत्रिमंडल छत्तीसगढ़ का दिखाई दे रहा है कुछ-कुछ वैसा ही मध्य प्रदेश का भी दिखाई दे सकता है. 


मोहन कैबिनेट में भी दिख सकते हैं नए चेहरे
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्रियों की कैबिनेट तैयार कर ली है. इनमें से आठ विधायक ऐसे हैं, जो पहली बार मंत्री बने हैं. वहीं पांच मंत्री तो ऐसे हैं जो पहली बार ही विधानसभा का चुनाव जीते हैं. यानी बीजेपी की नीति साफ है कि छत्तीसगढ़ में नया नेतृत्व तैयार किया जाए. ऐसी ही प्लानिंग बीजेपी मध्य प्रदेश में भी कर रही है. मुख्यमंत्री पद पर शिवराज सिंह चौहान जैसे कद्दावर नेता के होते हुए भी नए चेहरे को सीएम बनाना, बीजेपी की इसी नीति का हिस्सा है. अगर बीजेपी अभी भी इसी नीति पर काबिज रहती है तो छत्तीसगढ़ की तरह ही मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में भी कई ऐसे चेहरे नजर आ सकते हैं, जो पहली बार ही विधानसभा पहुंचे हों. 


मध्य प्रदेश में मंत्रियों के कुल 35 बर्थ
अगर बीजेपी मध्य प्रदेश में भी छत्तीसगढ़ जैसा फॉर्मूला लगाती है तो कई पूर्व मंत्रियों का पत्ता इस बार कट सकता है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत कुल 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं. मुख्यमंत्री मोहन यादव और डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला का चुनाव करने के बाद बीजेपी के पास 32 मंत्रिपद बाकी हैं. राजनीतिक गलियारों में हो रही चर्चाओं के मुताबिक बीजेपी इनमें से 15 से 20 पद भर सकती है. यानी सोमवार को 15-20 कैबिनेट मंत्री ही शपथ ले सकते हैं. 


जातिगत समीकरण को साध कर बनेगा मंत्रिमंडल?
इसी के साथ नए मंत्रियों के जरिए भारतीय जनता पार्टी का मकसद स्थानीय तौर पर जातिगत समीकरण को साधने का भी होगा. बीजेपी की नजर आगामी लोकसभा चुनावों पर भी है, ऐसे में पार्टी के उठाए हर कदम में लोकसभा चुनाव की तैयारियों की झलक भी दिखाई पड़ती है. तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के चुनाव में भी ये देखने को मिला. मध्य प्रदेश की नई कैबिनेट के चयन में भी इसी तैयारी के तहत जातिगत समीकरण देखने को मिल सकता है.


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