MP News: राजधानी भोपाल में मंत्री और विधायकों के बंगले बनाने के लिए करीब 29 हजार हरे भरे पेड़ों को काटा या शिफ्ट किया जाना है, इसे लेकर अनेक संगठनों विरोध जताया जा रहा है. हरे भरे पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन चलाया जा रहा है. आंदोलन की इसी कड़ी में आज गुरुवार को शिवाजी नगर और तुलसीनगर में लगे पेड़ों से महिलाएं चिपक रो पड़ी और भावुक हो गईं.


महिलाओं का कहना है कि ये पेड़ हमारे बुजुर्गों ने लगाए हैं, इन्हें अपने बच्चों की तरह पाला पोसा है, अब इन्हें कैसे कटने दें. बता दें महिलाएं पांच नंबर स्टॉप के पास राम मंदिर परिसर में एकत्रित हुईं और विरोध जताया. महिलाओं का कहना है कि सबसे ज्यादा हरियाली तुलसीनगर और शिवाजी नगर में है. अब उसी हरियाली को काटने की बात की जा रही है. सरकारी बंगले बनाने के लिए हरे भरे पेड़ों की बलि चढ़ाना गलत है.






सीनियर सिटीजन भी विरोध में


बता दें राजधानी भोपाल के तुलसीनगर और शिवाजी नगर में करीब 29 हजार पेड़ों को काटकर यहां मंत्री-विधायकों के बंगले बनाना सरकार की प्लानिंग में है, लेकिन सरकार की इस प्लानिंग पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. एक दिन पहले बुधवार को सीनियर सिटीजन फोरम नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट एंड एनवायरनमेंट और अन्य पर्यावरणविदों ने सामूहिक बैठक की. 


इस बैठक में निर्णय लिया गया कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ.  मोहन यादव, केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मुख्य सचिव वीरा राणा से मुलाकात की जाएगी और अनुरोध किया जाएगा कि मंत्री-विधायकों के बंगलों के नाम पर पेड़ ना काटे जाएं. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि पर्यावरण प्रेमियों द्वारा 14 जून को नूतन कॉलेज के सामने पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधे जाएंगे, इस अभियान में सीनियर सिटीजन भी शामिल है.


कांग्रेस चलाएगी भी चलाएगी आंदोलन
कांग्रेस ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर पेड़ों को नहीं काटने देंगे. जरुरत पड़ने पर हजारों कार्यकर्ता सड़क पर उतरेंगे और चिपको आंदोलन चलाएंगे.


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अमित शर्मा का कहना है कि सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते शहर की कुदरती खूबसूरती और पर्यावरण को बर्बाद करने पर आमादा है. शर्मा ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि पेड़ों को काटा नहीं जाएगा, बल्कि शिफ्ट किया जाएगा. कांग्रेस ने सवाल किया है पहले यह बताएं कि पूर्व में शिफ्ट किए गए पेड़ों में कितनी जीवित हैं.


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