Women Reservation Bill: राजनीति में आधी आबादी की 33 प्रतिशत भागीदारी यदि सुनिश्चित हो गई तो मध्य प्रदेश के अगले विधानसभा में 76 महिला विधायकों की जीत तय है. साल 2018 के चुनाव में मध्य प्रदेश में महिला विधायकों की संख्या सिर्फ 21 थी. इस चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ 10 प्रतिशत, तो कांग्रेस 12 प्रतिशत महिलाओं को ही टिकट दिया था, जबकि सूबे में महिला वोटर्स की संख्या तकरीबन 48 प्रतिशत हैं.
इतनी होगी महिला विधायकों की संख्या
राजनीति के जानकार कह रहे है कि अगर संसद के विशेष सत्र में लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास होता है तो इसका असर मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पड़ेगा. मध्य प्रदेश में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू होने के बाद जो फार्मूला तय होगा, उस हिसाब से 230 में से 76 महिला विधायक विधानसभा तक पहुंचेंगी.
अभी हैं इतनी विधायक
अभी प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों की तरफ से सिर्फ 21 महिला विधायक हैं. इनमें बीजेपी की 11, कांग्रेस की 9 और एक बसपा से हैं. अब आधी आबादी के वोट को हासिल करने के लिए राजनीतिक लड़ाई और तेज होगी. राजनीतिक दल 'लाडली बहन' और 'नारी सम्मान' जैसी अपनी योजनाओं पर तीखा प्रचार अभियान शुरू करेंगे.
41 जिलों में बढ़ीं महिला वोटर्स
पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो साफ देखा जा सकता है कि बीजेपी 10 प्रतिशत और कांग्रेस करीब 12 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही है. बात की जाए वोटर्स की तो, मध्य प्रदेश में अभी 5.52 करोड़ कुल वोटर हैं, जिनमें 2.67 करोड़ (48.36%) महिलाएं हैं. प्रदेश के 41 जिलों में महिला वोटर्स की संख्या बढ़ी है.
बीजेपी ने इतनी महिलाओं को दिया टिकट
चुनावी आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी ने साल 2003 में 18 महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिनमें से 15 को जीत मिली थी. इसी तरह साल 2008 के चुनाव में पार्टी ने 23 महिलाओं को टिकट दिया, जिनमें से 15 जीत कर विधानसभा पहुंचीं. साल 2013 के चुनाव में बीजेपी ने फिर से 23 महिलाओं को टिकट दिया, जिनमें से 17 ने जीत हासिल की. वहीं साल 2018 के चुनाव में बीजेपी ने 24 महिलाओं को टिकट दिया और उनमें से 11 ने जीत हासिल की, जबकि 13 पराजित हो गईं.
कांग्रेस ने इतनी महिलाओं को दिया टिकट
वहीं, बात कांग्रेस की करें तो पार्टी ने साल 2003 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 34 महिलाओं को टिकट दिया था, लेकिन इनमें से सिर्फ तीन ही जीत हासिल कर सकीं. साल 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने 28 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जिनमें से 6 को विजय हासिल हुई. साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने महिला उम्मीदवारों की संख्या घटाते हुए 23 को टिकट दिया और फिर से 6 महिला उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचीं. इसी तरह साल 2018 के चुनाव में एक बार फिर महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाते हुए कांग्रेस ने 28 महिलाओं को टिकट दिया जिनमें से 9 ने जीत हासिल की.
दिग्विजय सिंह ने राजीव गांधी को दिया श्रेय
मोदी सरकार द्वारा महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लेने के बाद अब राजनीति भी शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसका श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को देते हुए अपने X अकाउंट (पूर्व में ट्वीटर) पर लिखा है, "महिला आरक्षण नींव के प्रणेता राजीव गांधी के सपनों और विचारों को नमन! मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए उनके बताए आदर्शों के पालन के लिए देश में सबसे पहले पंचायती राज कानून लाकर महिलाओं को अधिकार दिया. आज राजीव के सपनों को जीती और आगे बढ़ती महिलाएं समाज और देश का संबल भी हैं और गौरव भी !!"
बीजेपी ने साधा निशाना
वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने ओबीसी आरक्षण के मसले पर कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा है,"राजीव गांधी ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था, आज बीजेपी में 37 फीसदी ओबीसी सांसद हैं."
मध्य प्रदेश- लोकसभा
सीट- 29
महिलाओं के लिए आरक्षित- 10
मध्य प्रदेश- विधानसभा
सीट- 230
महिलाओं के लिए आरक्षित- 76
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