Women's Day 2023: इंदौर के छावनी इलाके में रहने वाली राबिया खान अपने जन्म से लेकर ही आंखो की रोशनी से महरूम है. लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर वो काम कर दिखाया है, जिसे सामान्य व्यक्ति भी कर पाने में सक्षम नहीं है. यही कारण है की राबिया खान को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया है.
राबिया खान से जब एबीपी न्यूज ने उनकी इस उपलब्धि के बारे में विस्तृत चर्चा की तो उन्होंने बताया कि वह अपने जन्म से ही दृष्टिहीन (दिव्यांग) हैं, जिन्हें सभी नेत्रहीन बच्चों की तरह पढ़ाई करने में कठिनाई आई क्योंकि सामान्य पढ़ाई की तुलना में ब्रेल लिपि काफी कठिन होती है.
ब्रेल लिपि में कुरान पढ़ाने के लिए मदरसा चला रहीं राबिया
राबिया खान ने बताया की कुरान शरीफ जो इस्लामिक मजहब की धार्मिक पुस्तक है वह केवल अरबी भाषा में ही होती है. जिसे अलीगढ़ जाकर पढ़ना सीखा और सीखने के बाद फिर इस तालीम (शिक्षा) को बढ़ावा देने के लिए अपने जैसे बच्चों को भी ब्रेल लिपि में कुरान पढ़ाने के लिए उन्होंने एक मदरसे (पाठशाला) का संचालन शुरू किया. जिसमें कुछ बच्चे कुरान पूरा पढ़कर मुंह जबानी याद भी कर चुके हैं.
राबिया बताती हैं कि हिंदुस्तान में ब्रेल लिपि में कुरान शरीफ मौजूद नहीं था. जिसके लिए मैनें उसे बनाने की कवायद 2009 से शुरू की थी. सबसे पहले सॉफ्ट कॉपी बनाई, उसे कंप्यूटराइज्ड कर उसे प्रिंट किया फिर इंडिया में लॉन्च किया जो पूरे हिंदुस्तान का पहला ब्रेल लिपि वाला कुरान शरीफ बना.
शिक्षा के क्षेत्र में हासिल की ये उपलब्धियां
वहीं अपनी शिक्षा के बारे में बताते हुए राबिया ने कहा कि सबसे पहले पांचवी क्लास तक ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई की जिसके बाद सामान्य स्कूल में पढ़ाई की और बीएलएलबी ऑनर्स भी इंदौर के देवी अहिल्या विश्व विद्यालय से किया है. जिसके लिए उन्हें इंदौर स्टेट बार काउंसिल ने सदस्यता भी भेजी है. वर्तमान में वे एमएस सोशोलॉजी में कर रही हैं.
कंप्यूटर टेकनॉलोजी में उनकी रुचि रही है जिसके लिए बीसीए, सीसीए और डीसीए और यहां तक की एचटीएमएल भी किया है और अब प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी सिख रही हैं. राबिया बच्चों को भी कंप्यूटर सिखाती हैं. वर्तमान में वह वैष्णव कॉलेज मैनेजमेंट में अनुभूति करके एक कोर्स चल रहा है जिसमें वह पढ़ा रही हैं.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया राबिया को सम्मानित
राबिया खान ने यह भी बताया कि उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2014 में नेत्रहीनों के लिए काम करने के लिए इस फील्ड में ऐज ए रोल मॉडल की तर्ज पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था. उनसे जब इस दिशा में काम करने को लेकर पूछा तो बताया कि नेत्रहीन लोगों के लिए काम करने की कल्पना ऐसे जाहिर हुई की जब वह सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई करना चाहती थीं लेकिन उन्हें सामान्य स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा था.
तब से ही उनकी जिद थी की हर दिव्यांग को सामान्य लोगों जैसा दर्जा मिलना चाहिए. क्योंकि हमारे संविधान में भी यही लिखा है. इसी जिद से मुझे कामयाबी मिली है.
कमजोरी को अपनी ताकत समझो: राबिया
वहीं राबिया खान अपने जैसे नेत्रहीन बच्चों को यही मेसेज देना चाहती हैं कि हमेशा शिक्षा हासिल करो चाहे कितनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़े. अपनी विल पावर मजबूत रखो. किसी के निराश करने से निराश नहीं होना, जो अपनी कमजोरी है उसको अपनी ताकत समझो और आगे बढ़ो, कामयाबी जरूर मिलेगी. बता दें कि राबिया खान के परिवार में माता पिता सहित उनके दो भाई और एक बहन भी है. जिसमें वह सबसे छोटी बहन हैं.
4 साल पहले शादी के बंधन में बंधी राबिया
क्योंकि परिवार में वे ही अकेली नेत्रहीन थीं, तो सभी ने हमेशा उनका हर कदम पर साथ दिया. वहीं चार साल पहले उनकी शादी भी हो चुकी है. उनके पति सामान्य हैं और मेडिकल शॉप चलाते है. गौरतलब है कि इंदौर की अधिवक्ता राबिया खान दृष्टिहीन होने के बावजूद दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं. जो देश की पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने मुस्लिम धर्म के धार्मिक ग्रंथ कुरान शरीफ को ब्रेल लिपि लैंग्वेज में तैयार किया है.
साथ ही अधिवक्ता राबिया खान ने दृष्टिहीन होने के बावजूद अपनी जिद के कारण सामान्य स्कूल और कॉलेज से तालीम भी हासिल की है. जिन्होंने दुनिया के निराशाजनक शब्दों को अनसुना कर अपने आपको साबित कर दिखाया है.
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