World Toilet Day 2022: ओडीएफ जिला घोषित होने के बावजूद सीहोर में स्वच्छता मुहिम पीछे छूटती जा रही है. जिले में आज भी ग्रामीणों के हाथों से लोटा नहीं छूट पा रहा है. कई शौचालय ग्रामीण अंचलों में अधूरे बने हुए हैं. जागृति के अभाव में लोग खुले में शौच कर रहे हैं. दूसरी ओर ग्राम पंचायतों को साफ-सुथरा बनाने के उदेश्य से सामुदायिक शौचलय भवन निर्माण योजना अमल में लाई गई. योजना के तहत करोडों की राशि से प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय निर्मित किए गए हैं. पंचायतों में देखरेख के अभाव और जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण भवन भी तालों में कैद हैं और गांव गंदगी से पटे पडे हैं. ऐसा लगता है कि स्वच्छता की मुहिम सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है.
वर्ष 2016 में सीहोर जिला हुआ था ODF घोषित
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में जिला ओडीएफ घोषित हुआ. लेकिन जमीनी हकीकत इसके इतर है. आनन-फानन में कागजों पर जिले को ओडीएफ दिखा दिया गया. उस समय भी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी शौचालय अपूर्ण थे और कई पात्र परिवार योजना से वंचित रहे. जल्दबाजी में ऐसे परिवारों को नजरअंदाज किया गया. विभागीय आंकडों के मुताबिक 542 ग्राम पंचायतों में अब तक समग्र स्वच्छता अभियान के तहत 1 लाख 11 हजार 606 पात्र हितग्राहियों को शौचालय का निर्माण कराकर सौंपा गया है. 2020-21 और 2021-22 में सर्वे कराकर शौचालय विहीन हितग्राहियों के लिए शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है. वर्ष 2020-21 में 8119 शौचालयों का निर्माण कराया गया. वर्ष 2022 में 2163 शौचालय का लक्ष्य प्राप्त हुआ था हालांकि 548 शौचालय अभी अधूरे हैं.
इस वजह से बदहाल हुए सामुदायिक शौचालय
दो साल पहले समग्र स्वच्छता मिशन के तहत अलग-अलग मदों से करीब 7 करोड रुपए खर्च कर 200 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं. उद्देश्य था हाट, बाजार, सार्वजनिक कार्यक्रम, शादी विवाह समारोह, बस स्टैंड पर लोगों को शौचालय की सुविधा दिलाना. लेकिन पंचायतों में अनदेखी के कारण सामुदायिक शौचालय बंद पडे हैं और अंचलों में लोगों को शौच के लिए परेशान होना पड़ रहा है. रेट्रो अभियान में चिह्नित कर अधूरे शौचालय का निर्माण कार्य किया जा रहा है. पात्र हितग्राहियों को आवेदन करने पर योजना का लाभ मिल रहा है. सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है.