हाथियों से प्रेम करने वाले लोगों की ऑनलाइन दुनिया में कमी नहीं है. उनका मनोरंजन करने के लिए हाथियों की आश्चर्यजनक तस्वीरों से लेकर उनकी हरकतों तक की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रचुर मात्रा में मौजूद है. भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी ने एक वीडियो के जरिए हाथी प्रेमियों को और खुश होने का मौका दे दिया है.
भारतीय वन सेवा के अधिकारी सुशांत नंदा ने अपने ट्विटर पेज पर एक वीडियो शेयर किया है. यह वीडियो दुनिया की सबसे बुजुर्ग हाथी वत्सला की है. वत्सला की उम्र 105 माना जाता है. इस वीडियो में वो जंजीर से बंधी हुई और शांत नजर आ रही है. वह एक खेत में खड़ी है और सूड़ हिला रही है.
कहां रहती है वत्सला
वत्सला मध्य प्रदेश के पन्ना की रहने वाली है. वह दुनिया की एकमात्र हाथी थी,जिसकी उम्र 100 साल से अधिक है. भारतीय वन सेवा के इस अधिकारी का कहना है कि वत्सला ने पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
वत्सला का हिंदी में अर्थ होता है, प्रेममय या स्नेहमय. वत्सला ने 2019 में मरी चेंगलोर दक्षिणायनी की उम्र को पार कर लिया है. चेंगलोर दक्षिणायनी का नाम एशिया की सबसे उम्रदराज हाथी के रूप में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज था. चेंगलोर दक्षिणायनी को 'गाजा मुथस्सी' या हाथी दादी के नाम से पुकारा जाता था. वह केरल के चेंगलोर महादेव मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों और जुलूसों में भाग लेती थी.
दुनिया की सबसे बुजुर्ग हाथी
गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के मुताबिक दुनिया के सबसे बुजुर्ग हाथी का रिकॉर्ड 86 साल के लिन वॉग के नाम था. वो ताइवान के ताइपे चिड़ियाघर में रहता था. वहां उसकी 26 फरवरी 2008 में मौत हो गई थी. उसने द्वितिय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा के जंगलों में जापानी सेना का सामान ढोया था. चीनी सेना ने उसे 1943 में हथिया लिया था. इसके बाद से ताइपे के चिड़ियाघर में रखा गया. वहां से वह 1954 में रिटायर हुआ था.
वत्सला 2010 में रिटायर हुई थी. इससे पहले उसने देश के विभिन्न हिस्सों में माल और सवारियों को ढोने का काम किया. मोतियाबिंद की वजह से वत्सला को दिखाई नहीं देता है. वह अपनी सूंड़ और साथियों की मदद से पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी कैंप में घूम-फिर लेती है.
कहां हुआ था वत्सला का जन्म
वत्सला मूल रूप में केरल की रहने वाली है. उसे करीब 50 साल पहले केरल के निलांबुर जंगल से मध्य प्रदेश लाया गया था. पन्ना के टाइगर रिजर्व आने से पहले वह करीब दो दशक तक बोरी में रही. वहां से उसे पन्ना लाया गया. वत्सला ने 15 साल तक पन्ना टाइगर रिजर्व में अपनी पीठ पर सैलानियों को घुमाया है. उसके बाद उसे रिटायर कर दिया गया था.
निलांबुर के जंगल और वत्सला के संबंधों के बारे में केवल इतना पता है कि उसका जन्म हुआ. वह वहां करीब 55 साल तक रही, लेकिन इस काल की बहुत जानकारी उपलब्ध नहीं है. निलांबर से बोरी लाए जाने के बाद से वह वहां 1991 तक जंगल में लकड़ी ढोने का काम करती रही. बोरी के जंगल में किसी मादा हाथी के न होने की वजह से वत्सला कभी गर्भवती नहीं हुई. बोरी में वह गीता नाम की एक हथनी की काफी करीबी थी. लेकिन यह भी नहीं पता है कि वह निलांबर में वह मां बनी थी या नहीं.