वरद तिल कुंड चतुर्थी पर करें भगवान गणेश की पूजा, वंश वृद्धि की मनोकामना होगी पूरी
उज्जैन: शुक्रवार को वरद तिल कुंड चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश और गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. कहा जाता है जो भी इस दिन भगवान गणेश की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
उज्जैन: अगर वंश की वृद्धि और भगवान श्री गणेश और गोरी से वरदान लेकर अपनी मनोकामना को पूरा करना है तो आपके लिए ये खबर काफी महत्वपूर्ण है. अब कुछ ही दिन बाद वरद तिल कुंड चतुर्थी आने वाली है. इस दिन विशेष रूप से पूजा अर्चना का मनवांछित फल प्राप्त होता है. इस दिन का गुप्त साधक भी बेसब्री से इंतजार करते हैं.
वरद तिल कुंड चतुर्थी पर होती है गणेश जी की पूजा
शुक्रवार को माघ मास के शुक्ल पक्ष की वरद तिल कुंड चतुर्थी है. इसे विनायक चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कार्य की सिद्धि और वंश की वृद्धि के लिए विशेष रूप से गौरी और गणेश की पूजा की जाती है. ये पूजा सफल कार्यों में आने वाली बाधा का निराकरण करती है. पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक इस दिन सफेद तिल्ली से भगवान श्री गणेश को स्नान कराया जाना चाहिए. इसके बाद उन्हें सफेद तिल्ली से बने पकवान आदि का भोग लगाते हुए तिल्ली को दान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
गणेश जी की पूजा से होती हर मनोकामना पूरी
पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी निकल चुकी है. संकष्टी चतुर्थी को भगवान श्री गणेश का प्राकट्य दिवस माना जाता है. इसके बाद आने वाली वरद तिल कुंड चतुर्थी भी अपना विशेष महत्व रखती है. आगामी शुक्रवार को भगवान श्री गणेश की पूजा का विशेष महत्व रहेगा. इस दिन पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होगी.
ये भी रहेगा विशेष
माघ मास में शुक्ल पक्ष की गुप्त नवरात्रि चल रही है. वर्तमान समय गुप्त नवरात्रि के साथ वरद तिल कुंड चतुर्थी का योग बनने से एक अद्भुत संयोग उत्पन्न हुआ है. इस दौरान गुप्त साधक श्री गणेश के मंत्रों के साथ-साथ आदि शक्ति के मंत्रों से संपुटिक अनुष्ठान करते हैं अर्थात एक मंत्र भगवान श्री गणेश का उच्चारण किया जाता है. इसके बाद एक मंत्र माता जी का पढ़ा जाता है. इस प्रकार संपूटिक अनुष्ठान संपन्न होता है.
रवि का योग बनने से विशेष संयोग
शुक्रवार को 24 घंटे तक रवि का योग रहेगा. इस दिन पूजा अनुष्ठान और यज्ञ हवन सार्थक होते हैं, इसीलिए साधक गौर और गणेश का पूजा करते हुए विशेष अनुष्ठान भी आयोजित करते हैं. अनुष्ठान से भगवती, दुर्गा और श्री गणेश की कृपा बरसती है. इससे रोगों का नाश भी होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है.
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