कोरोना काल में जौहरियों ने बदला काम का तरीका, अल्ट्रा वायलेट मशीन की मदद से जेवरों को किया जा रहा है सैनिटाइज़
सिद्धी डायमंड कंपनी के मालिक राहुल पचीगर का कहना है कि कोरोना काल में 'मिशन बिगेन अगेन' के तहत कारखानों को खोलने की इजाज़त दी गई. राहुल ने कहा कि कारखाने में काम शुरू करना जितना ज़रूरी था, उतना ही ज़रूरी है हमारे कारीगर और ग्राहक की सुरक्षा.
मुंबई: कोरोना काल में लगभग सभी कामों को करने का तरीका बदल गया है. यही वजह है कि मुंबई के जोगेश्वरी स्तिथ सिद्धि डायमंड्स कारखाने के कारीगर चेहरे पर मास्क लगाकर हीरे और कीमती जेवरातों को आकार दे रहे हैं. ये लोग कोरोना के चलते बदले रंग रूप में ख़ुद को ढाल कर नए तरीके से काम करने के आदि हो रहे हैं. कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कारीगर नई तकनीक के साथ काम करना भी सीख रहे हैं. ग्राहक और मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कारखाने में अल्ट्रा वायलेट मशीन लाई गई है, जिसमें महंगे जेवरों को सैनिटाइज करने का काम किया जाता है.
सिद्धी डायमंड कंपनी के मालिक राहुल पचीगर का कहना है कि कोरोना काल में 'मिशन बिगेन अगेन' के तहत कारखानों को खोलने की इजाज़त दी गई. कारखाने में काम शुरू करना जितना ज़रूरी था, उतना ही ज़रूरी है हमारे कारीगर और ग्राहक की सुरक्षा. इसके लिए हमने कारखाने में अल्ट्रा वायलेट मशीन लाने के बारे में सोचा. कारखाने में पहुंचने वाला हर महंगा आभूषण पहले इसमें सैनिटाइज किया जाता है. उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है.
राहुल ने आगे कहा, "शादियों का सीजन भी है. लेकिन कोरोना के प्रभाव को देखते हुए लोग इसे बड़े पैमाने पर नहीं मना पा रहे हैं. इसलिए सोना और महंगे आभूषण ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है. जेवर के लिए ग्राहक की मांग भी बढ़ी है. इसलिए उनकी सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. इसिलिए हम यह मशीन लाए हैं. यही कारण है कि कारखानों में फिर से काम शुरू हुआ है. नए रंग रूप में कम मज़दूर के साथ काम फिर से शुरू हुआ है."
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