Aaditya Thackeray on Eknath Shinde: आदित्य ठाकरे ने एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार की आलोचना की है. उन्होंने कहा, अगर शिवाजी महाराज के चरणों में भूख हड़ताल पर बैठने के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है, तो यह केवल मुगल राज्य में ही की जा सकती है. पानी की समस्या को लेकर विधायक नितिन देशमुख शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने अनशन पर बैठे. उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने ऐसा करना जारी रखने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी. नार्वेकर की चेतावनी के बाद मीडिया से बात करते हुए आदित्य ठाकरे ने यह रिएक्शन दिया है. मीडिया से बातचीत के दौरान उनके साथ एनसीपी नेता जितेंद्र अवध भी मौजूद थे.
शिंदे सरकार पर बोला हमला
मुगल राज्य में ऐसा हो सकता है कि जब हम महाराजा के चरणों में बैठकर न्याय मांगते हैं तो उन्हें अनुशासनात्मक नोटिस भेजा जाता है. अपने भगवान से इंसाफ नहीं मांगे तो किससे मांगें. ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर हमला बोला है.
ठाकरे गुट के विधायक नितिन देशमुख अपने विधानसभा क्षेत्र में पानी की समस्या को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे. देशमुख का यह अनशन विधान भवन में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने चल रहा है. राहुल नार्वेकर की चेतावनी के बाद शिवसेना ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने इसकी आलोचना की है.
क्या बोले राहुल नार्वेकर?
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा, 'सदन में शंभूराज देसाई द्वारा दी गई जानकारी (नितिन देशमुख के अनशन को लेकर) पर भी सुबह चर्चा हुई. उस चर्चा के अनुसार मैंने निर्देश दिया कि सरकार उनसे बात करे और उनकी समस्याओं को समझे और कोई रास्ता निकाले. तदनुसार, सरकार की ओर से शंभुराज देसाई उनके पास गए. उन्हें बताया, मुझे तथ्यों से अवगत कराया.
इस संबंध में कुछ अभ्यावेदन उपमुख्यमंत्री के पास आए. उन अभ्यावेदनों के आधार पर उपमुख्यमंत्री ने स्थगन दिया. लेकिन यह स्थायी निलंबन नहीं था. इसमें दिए गए बयानों के तथ्यों को देखने के बाद वे आगे के आदेश जारी करने वाले हैं.
नार्वेकर ने कहा, "मैंने उन्हें अपने हॉल में आमंत्रित किया. मैं हॉल में यह नहीं बताना चाहता था, लेकिन मैं हॉल से कुछ भी छिपाना नहीं चाहता. इसलिए मैं यह कह रहा हूं. हालांकि, परंपरा के अनुसार, अगर हम हॉल के बाहर कहीं विरोध करना चाहते हैं, तो हम इसे सीढ़ियों पर करते हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज इस राज्य और देश के आदर्श हैं. इसलिए किसी राजनीतिक आंदोलनकारी का मूर्ति के नीचे जाना मुझे उचित नहीं लगता. अगर वे अब भी विरोध करना चाहते हैं, अगर वे संतुष्ट नहीं हैं, तो उन्हें कदमों पर आकर विरोध करना चाहिए.