ABP Shikhar Sammelan 2024 Live: आदित्य ठाकरे का BJP पर निशाना, 'महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट गुजरात भेजे जा रहे'
ABP Shikhar Sammelan 2024 Live: महाराष्ट्र चुनाव के बीच एबीपी न्यूज के शिखर सम्मेलन में अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस समेत कई दिग्गज नेता आ रहे हैं.इस दौरान विधानसभा चुनाव समेत कई अहम मुद्दों पर बात हुई.
एबीपी शिखर सम्मेलन के दौरान आदित्य ठाकरे ने ये कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मेरे दादाजी का फोटो का इस्तेमाल करते है. एकनाथ शिंदे को अपने दादाजी या पिताजी का फोटो का इस्तेमाल करना चाहिए.
एबीपी न्यूज के शिखर सम्मेलन में आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमारे सारे सर्वे में यही बात आ रही है मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे सबसे भरोसेमंद चेहरा उद्धव ठाकरे ही हैं.
एबीपी के शिखर सम्मेलन में शिवसेना यूबीटी के नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो महाराष्ट्र में हुआ वो कहीं नहीं हुआ. हमारे सारे प्रोजेक्ट्स गुजरात को दिए जा रहे हैं और हमारी सरकार सिर्फ टाटा कहती है.
राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के अगले सीएम के मुद्दे पर कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बीजेपी से होगा और देवेंद्र फडणवीस को पद दिया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने इस जवाब की वजह नहीं बताई. इसके बाद राज ठाकरे ने कहा कि साल 2029 में इस सवाल का जवाब होगा कि अगला मुख्यमंत्री मनसे से होगा.
राज ठाकरे से सवाल किया गया कि अगर जनता उन्हें महाराष्ट्र की सत्ता दे दे तो वह सबसे पहले तीन बड़े काम क्या करेंगे? इसके जवाब में राज ठाकरे ने कहा कि वह महाराष्ट्र में जातिवाद का मुद्दा सुलझाएंगे. उन्होंने कहा कि कास्ट का सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है. महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्य में अगर नौकरी के कारण अपनी जाति आगे करना चाहते हैं तो यह दुर्भाग्य की बात है.
दूसरी बात किसानों आत्महत्या के मामले कम करने होंगे. किसानों को आश्वासन देना होगा. तीसरी बात है महिलाओं की सुरक्षा, जो कि लॉ एंड ऑर्डर का ही हिस्सा है.
महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पर बात करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या क्यों की गई, लेकिन मुंबई शहर में बिल्डर कम्यूनिटी और पैसों के लेन-देन का मामला बढ़ रहा है, लोगों के ठीक से सोच समझ के कदम बढ़ाने चाहिए. पहले ये फिल्म इंडस्ट्री में होता था अब कंस्ट्रक्शन की लाइन में हो रहा है. इसके पीछे का कारण पैसा हो सकता है.
राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र पुलिस पर पूरा विश्वास है. अगर उन्हें 48 घंटे में पूरी मुंबई साफ करने को कह दिया जाए तो एक भी गुंडा नहीं बचेगा. महाराष्ट्र पुलिस के पास इतनी ताकत है. अगर साफ-सफाई चाहिए तो पुलिस को ऐसा कह कर देखिए. हमारे यहां लॉ हैं, लेकिन ऑर्डर नहीं है.
बीजेपी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर राज ठाकरे ने कहा कि उन्होंने अभी तक इस नारे के बारे में नहीं सुना. ऐसा नारा वह भी लगा सकते हैं, उनकी विचारधारा से मेल खाता है.
राज ठाकरे ने बताया कि अमित शाह से उनकी मुलाकात केवल लोकसभा चुनाव के लिए हुई थी और उन्होंने समर्थन का आश्वासन दिया था. इसके बाद राज ठाकरे ने अपनी रैली में घोषित भी किया था कि यह सपोर्ट केवल लोकसभा के लिए है, विधानसभा के लिए मनसे नेता अभी से काम पर लग जाएं. महायुति में तीन बड़ी पार्टियां पहले से हैं, चौथे पार्टनर के लिए जगह भी कहां है?
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में दो प्रमुख पार्टियां टूटीं, इसका फायदा मनसे को होगा कि नहीं ये नहीं कह सकते लेकिन इन पार्टियों का विभाजन कैसे हुआ यह सोचने वाली बात है. विधायक कैसे टूटे, समझौता कैसे हुआ यह सोचने वाली बात है, लेकिन इस विभाजन से महाराष्ट्र के वोटर्स का अपमान हुआ है. मतदाताओं को अब पता भी नहीं है कि उन्होंने जो वोट दिया था वह आज कौन सी पार्टी में गया है. नेता हमेशा से दल बदलते आए हैं, कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र में जो हुआ ऐसा किसी ने नहीं देखा होगा.
मंत्री या मुख्यमंत्री न बन पाने की बात पर राज ठाकरे ने कहा कि रामदास अठावले जैसा मंत्री बनने से अच्छा है कि मैं अपनी पार्टी बंद कर दूं. लोग क्या सोचते हैं, मुझे फर्क नहीं पड़ता. पार्टी चलाने में बहुत मुश्किलें होती हैं, यह बाहर बैठ कर समझा नहीं जा सकता.
राज ठाकरे ने बताया कि जब वह शिवसेना छोड़ कर बाहर निकले तो मैंने कहा था कि बाल ठाकरे मुझ पर जो आरोप लगाना चाहें लगा सकते हैं, उन्हें हक है. मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा. यही बात एनसीपी पर रख कर देखिए, जब अजित पवार ने चाचा का साथ छोड़ा तो शरद पवार के बारे में क्या-क्या बातें कहीं. ये सबकी अपनी-अपनी सोच है.
राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें राजनीति के साथ पारिवारिक संबंध रखने की प्रेरणा बालासाहेब ठाकरे से मिली है. यह सभी में होना चाहिए. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले जब पहली बार चुनाव लड़ रही थीं, तब बालासाहेब ने उन्हें वोट दिए थे. उन्होंने कहा था कि बेटी पहली बार चुनाव लड़ रही है, सांसद बन कर सदन में आनी चाहिए. उसके बदले में बालासाहेब ठाकरे ने शरद पवार से कुछ मांगा नहीं था. जब प्रतिभा पाटिल पहली बार राष्ट्रपति बन रही थीं, तो उनके कांग्रेस उम्मीदवार होने के बावजूद बालासाहेब ने उन्हें सपोर्ट किया था. राज ठाकरे का मानना है कि राजनीति में कुछ अच्छाई होनी चाहिए.
अमित ठाकरे ने एक बयान दिया था, "मैंने अपने पिता को कहा कि विपक्षी दलों से समझौता न करें और मेरी राह आसान बनाने की कोशिश न करें. अगर मैं जीतूं तो अपने काम पर जीतूं, इसलिए नहीं कि राज ठाकरे का बेटा हूं." इस बयान पर राज ठाकरे की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा, "पांच साल पहले जब आदित्य वर्ली से खड़े हुए थे, तब मैंने तय किया कि वह पहली बार चुनाव लड़ रहा है मैं वहां उम्मीदवार नहीं उतारूंगा. तब मैंने किसी के साथ यह बात नहीं की थी, अपने मन से फैसला लिया था. मेरे संबंध एकनाथ शिंदे, फडणवीस आदि से अच्छे हैं. हालांकि, मैंने उनसे नहीं कहा कि मेरे बेटे के सामने उम्मीदवार न उतारें. अगर वह गुड जेस्चर में अपने मन से ऐसा फैसला लेते हैं तो ठीक है, लेकिन अगर उम्मीदवार उतारना चाहते हैं तो भी कुछ गलत नहीं."
राज ठाकरे ने बताया कि उनके बेटे अमित के लिए माहिम सीट का चुनाव तो कर लिया गया, लेकिन उन्होंने इस सीट के उम्मीदवार नितिन देसाई को एक साल पहले ही तैयारी करने के लिए कह दिया था. अब वह कैसे कहें कि उनकी जगह बेटे अमित को चुनाव लड़ाना है. उनके नितिन के साथ राजनीतिक ही नहीं पारिवारिक संबंध हैं. बेटे अमित के लिए नितिन भी मान गए और फाइनली सीट का चुनाव हो गया.
इस सवाल के जवाब में राज ठाकरे ने बताया कि इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने बेटे के लिए माहिम दादर की सीट चुनी. मनसे नेताओं की एक मीटिंग हुई थी, जिसमें वह नहीं थे. इस दौरान नेताओं ने कहा कि सभी को चुनाव लड़ना चाहिए. वहां उनके बेटे अमित ने कहा कि हर नेता को चुनाव लड़ना चाहिए, पार्टी कहेगी तो मैं भी लड़ लूंगा. यह बात राज ठाकरे को भी पता चली, लेकिन उन्होंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. इसके बाद उन्होंने एक मीटिंग की, जिसमें नेताओं ने कहा कि अमित ठाकरे को भांडुप से खड़ा करते हैं. तब उन्होंने मामले की गंभीरता को समझा और बेटे से बात की. बेटे अमित ने कहा कि जो पिता जी चाहेंगे वही करेंगे, लेकिन सभी नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए. इसके बाद चर्चा हुई कि भांडुप से बेहतर है माहिम दादर सीट से चुनाव लड़ाया जाए.
एबीपी न्यूज के कार्यक्रम शिखर सम्मेलन में राज ठाकरे ने कहा, "सीधी तरह से राजनीति करने वालों को समय लगता है. आढ़ी-टेढ़ी राजनीति करने वाले तेजी से आगे बढ़ते हैं, लेकिन फिर उनका कुछ नहीं होता. मैं सीधी तरह से राजनीति कर रहा हूं. समय जाएगा लेकिन हो जाएगा."
क्या महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण संभव है? देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने ये दो बार कर के दिखाया है. जब मैं मुख्यमंत्री था तो कोर्ट ने भी इस पर स्टे नहीं दिया था. जिस समय एमवीए की सरकार आई, तो केस जैसा चलाना चाहिए था नहीं चलाया गया. इसके बाद एकनाथ शिंदे सीएम बने और फिर मराठा आरक्षण दिया गया. कोर्ट ने इसपर न स्टे लगाया है और न खारिज किया है.
जेपी नड्डा ने कहा था कि उन्हें RSS की जरूरत नहीं है. यह भी तब जब महाराष्ट्र में संघ का मुख्य कार्यालय है. क्या बीजेपी को जेपी नड्डा के इस बयान का नुकसान हुआ? इस पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जेपी नड्डा ने जो बयान दिया था, उसका आकलन गलत तरह से हुआ. बीजेपी और संघ दोनों यही कहते हैं कि आरएसएस के विचारों से चलने वाले जो संगठन हैं, वह अब बड़े हो चुके हैं. वह अपना काम कर रहे हैं, संघ की कभी मदद चाहिए तो वह हमेशा देने को तैयार है. जेपी नड्डा के बयान का यह मतलब था, लेकिन उसके कई अर्थ निकाले गए. वहीं, यह कहना भी ठीक नहीं होगा कि जेपी नड्डा के बयान का चुनाव पर असर पड़ा.
इस सवाल के जवाब में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि वह एकनाथ शिंदे से कुछ अलग करते. ये बात समझनी चाहिए कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के अंदर नरेटिव कंट्रोल नहीं किया जा सका. मैं भी होता तो नहीं कंट्रोल कर पाता.
लोकसभा चुनाव में हार की वजह क्या बीजेपी द्वारा गलत उम्मीदवार चुनना था? देवेंद्र फडणवीस ने जवाब में कहा कुछ सीटों पर समीक्षा करो, तो पता लगता है कि एक उम्मीदवार के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी थी, लेकिन हमने टिकट दे दिया. ऐसे कुछ केस होते हैं.
इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन इस बार सबसे खराब रहा. हार की समीक्षा में क्या वजह सामने आई? इस पर देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि बीजेपी ने इस बार 9 सीटें जीतीं, लेकिन 8 सीटें ऐसी रहीं जिन पर 4-5 हजार वोट से हार मिली. वहीं, 14-15 सीटें ऐसी हैं जो ऐसी मामूली सी मार्जिन से हार गए. बीजेपी एमवी के खिलाफ नहीं लड़ रही थी, बल्कि एक चौथी पार्टी भी थी फेक नरेटिव की, जिसने हमें हराया. एमवीए की तीन पार्टियों में ताकत नहीं थी कि बीजेपी को हरा सकें.
अंदरखाने ऐसी खबरें चल रही हैं कि एकनाथ शिंदे ने यह प्लान पेश किया था कि महाराष्ट्र को रोटेशनल सीएम दिया जाए. ढाई साल शिवसेना और ढाई साल बीजेपी का सीएम हो. क्या यह सच है? इसपर देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि ऐसा नहीं होता है. एकनाथ शिंदे ने कभी ऐसी मांग नहीं की है. उन्होंने कभी नहीं पूछा कि सीएम कौन होगा, वह बनेंगे या नहीं या उनका क्या होगा?
एबीपी शिखर सम्मेलन में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महायुति में मिलकर तय किया गया कि नतीजों के बाद सीएम पद का फैसला किया जाएगा, लेकिन एमवीए में ऐसा तय नहीं हुआ. वहां लोग कहते हैं कि बंद कमरे के बीच या बाहर बता दीजिए कि सीएम कौन होगा. महायुति के लिए ये कोई दुविधा नहीं है.
महाराष्ट्र में सीएम पद का फॉर्मूला क्या है? इस पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इसका फॉर्मूला बहुत सिंपल है. पहले चुनाव लड़ेंगे, फिर जीतेंगे. इसके बाद तीनों पार्टियां मिलकर बैठेंगी. एकनाथ शिंदे, अजित पवार और बीजेपी का पार्लियामेंटरी बोर्ड मिलकर तय करेंगे कि सीएम कौन होगा. सरकार के मुखिया आज एकनाथ शिंदे हैं. अजित पवार औऱ मैं डिप्टी सीएम हैं. तीनों का चेहरा लेकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उतरा गया है.
महाराष्ट्र में अगर परिस्थितियां बदल रही हैं तो बीजेपी मंदिर-मस्जिद, वोट जिहाद और गाय की बातें क्यों कर रही है? इस सवाल के जवाब में देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "देसी गाय को राज्यमाता का दर्जा देना क्या गलत है? देश में देसी गाय का संवर्धन होना चाहिए. उसके गोमूत्र और गोबर के कारण जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ती है." वहीं, उन्होंने कहा कि बीजेपी ने वोट जिहाद की बात निश्चित रूप से की है. विपक्ष ने पोलराइजेशन की कोशिश की. धार्मिक स्थलों पर बैनर लगते हैं कि वोट नहीं करेंगे तो अल्लाह का अपमान होगा. अगर नेता ऐसे पोलराइज करेंगे तो यह वोट जिहाद ही कहा जाएगा. हालांकि, अब ऐसा नहीं हो पाएगा.
पिछली बार बीजेपी 105 सीटों पर जीती और अब 148 सीटों पर उम्मीदवार उतारें हैं. हालांकि, लोकसभा के नतीजे बीजेपी की उम्मीद अनुसार नहीं आए थे. ऐसे में क्या बेजेपी के लिए चुनौती है? इस सवाल के जवाब में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र का वातावरण बदला है. उस दौरान लोगों में एक फेक नरेटिव पहुंचाया गया था. एमवीए और महायुति में वोटों का कोई खास अंतर नहीं था. उन्हें 43.9 फीसदी वोट मिला और महायुति को 43.6 मिला. बड़े पैमाने पर फेक नरेटिव चलाने के बावजूद भी विपक्ष ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाया. विश्वास है कि बीजेपी सेंचुरी पार कर लेगी.
नवाब मलिक की उम्मीदवारी पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "हमने बहुत साफ शब्दों में एनसीपी को कहा था कि नवाब मलिक को टिकट मत दीजिए. बीजेपी उनके साथ नहीं जाएगी. इसके बावजूद उनको बी फॉर्म दिया गया. बीजेपी उनका काम नहीं करेगी. वहां पर शिवसेना शिंदे गुट का एक उम्मीदवार है. अगर वह वहां रहता है तो बीजेपी उनका समर्थन करेगी."
इस सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा, "इस चुनाव में 20 दिन बचे हैं. आज के समय में एकनाथ शिंदे सीएम हैं. उनके नेतृत्व में महायुति जनता के सामने जा रही है. नतीजे आने के बाद हम सब बैठेंगे और सोचेंगे कि अगला सीएम कौन होगा. मैं सीएम बनना चाहता हूं या नहीं, यह सवाल नहीं है. हमारा पहला काम है कि महायुति को बहुमत के साथ जिताना है. 25 दिन रुकिए, सब पता चल जाएगा."
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण एक बड़ा आंदोलन है, जिसका नेतृत्व मनोज जरांगे कर रहे हैं. इसको लेकर बीजेपी और एनसीपी की राय अलग-अलग दिख रही है. इस पर अजित पवार ने कहा कि मराठा आरक्षण के अलावा कई समाज के आरक्षण के मुद्दे महाराष्ट्र में चल रहे हैं. यह मांग जायज है या नहीं, यह बात नहीं है. लेकिन संविधान में सबको अधिकार है कि अपनी मांग रखें. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट क्या फैसला लेते हैं, यह भी निर्भर करता है. केंद्र सरकार ने EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू किया, जिसके खिलाफ कोई स्टे नहीं आया. ऐसे में 52+10 यानी 62 फीसदी आरक्षण हुआ है. आरक्षण की मांग है तो देना चाहिए.
महाराष्ट्र सरकार पर विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि यहां का रोजगार गुजरात भेज दिया जा रहा है, जिसके चलते महाराष्ट्र का युवा बेरोजगार है. इसके जवाब में अजित पवार ने कहा कि यह नरेटिव विपक्ष सेट करना चाहता है. लोकसभा चुनाव में विपक्ष कहता था कि संविधान बदलने जा रहा है. ऐसे नरेटिव के जरिए जनता को भटकाया जा रहा है. देश में सबसे ज्यादा निवेश महाराष्ट्र में हो रहा है. निवेश के मामले में महाराष्ट्र नंबर-1 पर है. झूठ बोल-लबोलकर विपक्ष महाराष्ट्र को बदनाम कर रहा है.
अजित पवार उप मुख्यमंत्री के सात वित्त मंत्री भी हैं. ऐसे में पैसे के बंटवारे पर किसका हक ज्यादा है, ऐसे सवाल उठते रहे हैं. बतौर वित्त मंत्री बताएं कि संसाधनों पर किसका हक ज्यादा है? इस पर अजित पवार ने कहा कि बजट तैयार करते हुए सीएम और डिप्टी सीएम के साथ बात की जाती है. देवेंद्र फडणवीस भी सीएम और फाइनेंस मिनिस्टर रह चुके हैं, उन्हें बहुत जानकारी है. इसलिए पहले बैठ कर चर्चा होती है कि किसे क्या मिलना चाहिए. इसके बाद ही बजट पेश होता है. बजट पर तीनों के साइन लिए जाते हैं, जो बदलाव करना चाहें कर सकते हैं.
अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के साथ वापस आएंगे कि नहीं? इस सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा कि मैं कोई ज्योतिष नहीं हूं, भविष्य का किसको पता? राजनीति में कुछ भी हो सकता है. महाराष्ट्र का विकास की प्रमुख मुद्दा रहा है और रहेगा.
अजित पवार से सवाल किया गया कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला अजित पवार का था या शरद पवार ने उनसे ऐसा कहा था? इसके जवाब में अजित पवार ने कहा कि यह फैसला सबने मिलकर लिया था. जब हमें पता चला कि एकनाथ शिंदे बहुत सारे विधायक लेकर सूरत गए हैं और सरकार गिरने वाली है, तो मेरे विधायक इकट्ठा हुए, चिट्ठी लिखी और कहा कि हमें सरकार से मिलना चाहिए. इसके बाद बीजेपी के नेताओं से बात की गई.
अजित पवार पर आरोप लग रहे हैं कि वह चाचा शरद पवार के साथ मिली भगत कर रहे हैं. इन आरोपों पर अजित पवार ने कहा, "दिल्ली के लोगों को मेरे बारे में ज्यादा पता नहीं है, महाराष्ट्र के लोगों से पूछेंगे तो वो बताएंगे कि अजित पवार मिलीभगत या मैच फिक्सिंग नहीं करता है."
इस सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा, "सबको अधिकार होता है चुनाव लड़ने का. उनको लगा कि यही कैंडिडेट मेरे खिलाफ लड़ेगा तो उन्होंने खड़ा किया. सुनेत्रा को सुप्रिया के खिलाफ खड़ा करना मेरी गलती थी."
ABP Shikhar Sammelan 2024 Live: एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम शिखर सम्मेलन में डिप्टी सीएम और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने कई बातें खुल कर कहीं. उन्होंने एनसीपी, शरद पवार, सुनेत्रा पवार, सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र चुनाव के बारे में अपनी राय रखी
बैकग्राउंड
ABP Shikhar Sammelan 2024 Live: एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम शिखर सम्मेलन में महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं ने शिरकत की. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने कई बातें खुल कर कहीं. उन्होंने एनसीपी, शरद पवार, सुनेत्रा पवार, सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव के आकलन और समीक्षा के बारे में भी बताया. वहीं, यह भी सामने आया कि अजित पवार द्वारा नवाब मलिक को टिकट दिए जाने पर बीजेपी खुश नहीं है.
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