Mumbai News: दशहरा रैली के जरिए उद्धव-शिंदे का बाल ठाकरे की विरासत पर दावा, जानें- किसकी रैली में थी ज्यादा भीड़
Rally Of Rivals: मुंबई पुलिस सूत्रों के मुताबिक दशहरा रैली में दोनों मैदान अपनी क्षमता के हिसाब से पूरी तरह भरे हुए थे. शिवाजी पार्क में करीब 65 हजार तो बीकेसी के मैदान में करीब साव लाख लोग पहुंचे.
Mumbai News: दशहरे के दिन मुंबई में शिवसेना के दोनों गुटों ने अपनी रैली की. उद्धव ठाकरे गुट की रैली शिवाजी पार्क में हुई तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की रैली बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स के मैदान में रैली की. दोनों गुटों की रैलियों में अच्छी भीड़ जुटी. दोनों गुटों ने अपनी-अपनी रैलियों को सफल और ऐतिहासिक बताया है. वहीं अगर मुंबई पुलिस सूत्रों की माने तो दशहरा रैली में दोनों मैदान भरे रहे यानि कि उनकी जितनी क्षमता थी, उतने लोग रैलियों में पहुंचे.
किसकी रैली में कितनी भीड़ आई
मुंबई पुलिस सूत्रों के मुताबिक शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे गुट की दशहरा रैली में करीब 65 हजार लोग पहुंचे. सूत्रों का कहना है कि यह संख्या पांच हजार कम या ज्यादा हो सकती है.शिवाजी पार्क मैदान की क्षमता करीब 50 हजार है. पुलिस के अनुमान के मुताबिक कई लोग मैदान में थे तो कई लोग मैदान के बाहर भी खड़े थे.
एकनाथ शिंदे गुट की रैली में कितने लोग पहुंचे
वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स (बीकेसी) के एमएमआरडीए मैदान में दशहरा रैली आयोजित की. पुलिस का अन्दाजा की शिंदे की रैली में करीब एक लाख 25 हजार लोग शामिल हुए थे. यह संख्या भी पांस- से सात हजार कम या ज्यादा हो सकती है.सूत्रों ने बताया की जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सभा ली थी तब करीब 97 हजार लोगों अपनी उपस्थिति दिखाई थी. इस संख्या में भी पांच से सात हजार का अंतर आ सकता है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि दशहरा रैली में दोनों मैदान अपनी क्षमता के हिसाब से पूरी तरह से भरे हुए थे.
शिवसेना में बगावत
इस साल जून में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 39 विधायकों ने बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई थी. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.इसके बाद से ही दोनों गुट पार्टी पर हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. यह मामला अभी चुनाव आयोग के पास है. उसे ही इस बात का फैसला करना है कि पार्टी पर हक किसका होगा.दशहरा रैली शिवसेना के दोनों गुटों के लिए शक्तिप्रदर्शन का माध्यम था. इसमें दोनों गुट सफल नजर आ रहे हैं.
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