अजित पवार ने राजीव गांधी से की नवाब मलिक की तुलना, कहा- 'उनके कार्यकाल में...'
Ajit Pawar on Nawab Malik: अजित पवार ने BJP के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे का विरोध किया है, यह कहते हुए कि यह महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने नवाब मलिक को टिकट देने के फैसले का भी बचाव किया.

Ajit Pawar on Nawab Malik: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य की राजनीति का पारा बंपर हाई है. महायुति और एमवीए एक दूसरे के लिए तो चुनौती बने हुए हैं वहीं अब महायुति में अंदर की लड़ाई भी देखने को मिल रही है. इसी बीच अजित पवार के एक बयान ने सियासी हलचल मचा दी है. दरअसल, अजित पवार ने बीजेपी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' पर असहमति जताते हुए अपना पक्ष रखा है.
महाराष्ट्र के चुनाव में 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा राजनीति के सेंटर में आ गया है, लेकिन अजित पवार का कहना है कि वह इस नारे को बिल्कुल सपोर्ट नहीं करते. बीजेपी के इस स्लोगन को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है.
'यह यूपी नहीं महाराष्ट्र है'
न्यूज एजेंसी एएनाई से बात करते हुए अजित पवार ने कहा, "मैं इस नारे को लेकर अपनी असहमति पहले भी दर्ज करा चुका हूं. चाहे रैलियां हों या मीडिया, इस नारे का समर्थन कभी नहीं किया. बीजेपी के कुछ नेताओं के भी यही विचार हैं. 'बंटेंगे तो कटेंगे' सुनते ही हमने सबसे पहले यही कहा था कि यह उत्तर प्रदेश नहीं है. यह सब नॉर्थ में चल सकता है, लेकिन महाराष्ट्र में नहीं."
जानकारी के लिए बता दें कि अजित पवार की सहयोगी पार्टी बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे को लेकर कहा था कि उन्हें इसमें कुछ गलत नहीं दिखता. अगर कोई यह कहता है कि बंटना नहीं चाहिए, तो इसमें गलत क्या है?
नवाब मलिक को टिकट देने का किया बचाव
एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने नवाब मलिक को मानखुर्द से टिकट देने के अपने फैसले को सही ठहराया. सहयोगी दलों के विरोध के बाद भी उन्होंने नवाब मलिक को लेकर अपना निर्णय नहीं बदला, जबकि नवाब मलिक पर कई आरोप भी हैं.
गौरतलब है कि नवाब मलिक साल 2022 में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का सहयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे. हालांकि, कोर्ट में अभी तक यह आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं. इसको लेकर अजित पवार ने कहा, "नवाब मलिक के खिलाफ अभी कुछ भी साबित नहीं हुआ है, तो उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया जा सकता?"
नवाब मलिक की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से करते हुए अजित पवार ने कहा, "राजीव गांधी के कार्यकाल में उन पर भी कई आरोप लगाए गए थे, लेकिन इससे वह आरोपी नहीं बन जाते. यह लोकतंत्र है, यहां आप बिना सबूत किसी पर इल्जाम नहीं लगा सकते." एनसीपी चीफ ने कहा कि आरोप लगाना बहुत आसान होता है, लेकिन उन्हें कोर्ट में सिद्ध करना पड़ता है. लोकतंत्र में कोई भी किसी पर भी आरोप-प्रत्यारोप करने के लिए स्वतंत्र है.
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