Muslim Quota In Maharashtra : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को शिक्षा में मुसलमानों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा, जिससे उनके सहयोगी दलों में नाराजगी बढ़ गई. माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर एक ओर जहां शिवसेना शिंदे गुट चुप है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए भी असमंजस भरी स्थिति पैदा हो गई है. पार्टी के नेता और राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अभी तक इस मांग पर कुछ कहा नहीं है. दीगर है कि भारतीय जनता पार्टी, धार्मिक आधार पर कोटा के खिलाफ रही है. ऐसे में पार्टी के लिए जूनियर पवार के लिए यह मांग किसी असमंजस से कम नहीं है.


बीते दिनों पवार ने बैठक में कहा था कि अब्दुल सत्तार और एक अन्य मंत्री हसन मुशरिफ की राय थी कि मुस्लिमों को आरक्षण मिले और चूंकि यह तीन दलों की सरकार है इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं इस मुद्दे को मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने रखूंगा और आगे का रास्ता तलाशने की कोशिश करेंगे. 


वहीं राजनीति जानकारों का मानना है कि अजित पवार गुट इस बात से बखूबी वाकिफ है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी , शिंदे गुट के अलावा जूनियर पवार पर भी निर्भर है. ऐसे में पवार अपने वोट बैंक को संभालने के लिए ऐसी मांग रख रहे हैं क्योंकि वह इस बात से पूरी तरह से परिचित हैं कि मराठा वोट, कई पार्टियों में बटेगा ऐसे में वह मुस्लिमों की ओर अपना रुख कर रहे हैं.


चुनाव पर पड़ेगा असर?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अलग हुए गुट के प्रमुख अजीत पवार और उनका समूह 1 जुलाई को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी सरकार में शामिल हो गया था.


हालांकि, अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन में अन्य दो सहयोगियों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, खासकर जब से फडणवीस धर्म-आधारित कोटा नहीं बढ़ाने के बारे में मुखर रहे हैं जो ओबीसी और मराठा आरक्षण को खा सकते हैं.


एनसीपी के सूत्रों का दावा है कि इस मुद्दे का असर अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है, एनसीपी-एपी (अजित पवार) की नजर मुस्लिम वोटों पर है जो राज्य के कई निर्वाचन क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकते हैं.


अजित पवार ने हाल ही में आश्वासन दिया था और दोहराया था कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार निर्णय को लागू करने के लिए जल्द ही सीएम और डिप्टी सीएम के साथ मुस्लिम कोटा मुद्दा उठाएंगे और आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों के लिए एक विशेष पैकेज पर भी विचार करेंगे. शिक्षा में मुस्लिम कोटा का विचार 2014 में पूर्व कांग्रेस-एनसीपी सरकार द्वारा दिया गया था, और यह पूर्ववर्ती महा विकास अघाड़ी सरकार के वादों में भी शामिल था, जिसमें जून 2022 में गिरने से पहले अजीत पवार डिप्टी सीएम थे.