Maharashtra Politics: देशभर में अब राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. चुनाव से पहले संगठन को कैसे मजबूत किया जाए और जनता तक अपनी पहुंच को और आसान कैसे बनाया जाए, इसपर काम शुरू हो चुका है. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों दलों के नेता-कार्यकर्ता अपनी कमर कस चुके हैं. कोई कसर बाकी न रह जाए, उसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इस बीच अजित पवार गुट के मंत्रियों को भी टास्क मिल गया है. एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद जहां एक तरफ शरद पवार मैदान में उतरकर लोगों के बीच पहुंचे रहे हैं वहीं, अब अजित पवार गुट ने भी पार्टी को मजबूत करने पर जोर दे दिया है.


अजित पवार के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल सभी नौ मंत्रियों को अगल-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी गई है. डिप्टी सीएम अजित पवार को पुणे, सतारा, सांगली और सोलापुर जिले की जिम्मेदारी दी गई है. एक बयान में इस बात की जानकारी शुक्रवार (18 अगस्त) को दी गई. 



वहीं एनसीपी सांसद और पार्टी के नेशनल वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को भंडारा, गोंदिया, अमरावती, वर्धा और नागपुर जिले में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है. ये जिम्मेदारियां एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष ने तय की हैं. अजित पवार गुट ने सुनील तटकरे को महाराष्ट्र एनसीपी का अध्यक्ष नियुक्त किया था.


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इस तरह से एनसीपी के सभी नौ मंत्रियों को 36 जिलों में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी गई है. छगन भुजबल नासिक, मुंबई शहर और मुंबई उपनगर में पार्टी को मजबूत करेंगे. गौतलब है कि 2 जुलाई को अजित पवार के साथ उनके समर्थक विधायक महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृ्त्व वाली सरकार में शामिल हुए थे. इस फैसले से शरद पवार की एनसीपी टूट गई. न सिर्फ एनसीपी टूटी बल्कि अजित पवार गुट ने पार्टी पर अधिकार का दावा भी ठोंक दिया. पार्टी का असली हकदार कौन है, ये मामला चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है. लेकिन इस फूट के बावजूद शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात ने महाराष्ट्र की सियासत को बेहद दिलचस्प बना दिया है.