Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि भले ही उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी से गठबंधन किया हो, लेकिन अपनी ‘विचारधारा’ नहीं छोड़ी है. उन्होंने कई मौकों पर बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद अपना रुख बदलने के लिए एनसीपी (NCP) के संस्थापक शरद पवार की आलोचना की. भुजबल ने दावा किया कि एनसीपी के 53 में से 45 विधायक अजित पवार के साथ हैं. उन्होंने कहा, 'मैं बाहर रहकर क्या करता.'


क्या बोले छगन भुजबल?
भुजबल ने पुणे में पत्रकारों से कहा कि शरद पवार ने 2014 में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा, ‘‘उस समय मुझे आश्चर्य हुआ और कहा कि हम विपक्ष में हैं. 2017 में भी, जब मैं जेल में था, तब एनसीपी के पांच नेताओं और बीजेपी के पांच नेताओं ने एनसीपी को सरकार में शामिल करने के बारे में चर्चा की थी. उस समय, बीजेपी से कहा गया था कि वह बीजेपी-एनसीपी सरकार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपनी सहयोगी शिवसेना को छोड़ दे. तब भी वह (शरद पवार) पीछे हट गए.”


'विचारधारा' के सवाल पर दिया ये जवाब 
भुजबल और अजित पवार समेत एनसीपी के नौ विधायक दो जुलाई को एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे. अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अपनी विचारधारा बदल ली है और अब वह महात्मा फुले जैसे समाज सुधारकों के अनुयायी होने के बजाय हिंदुत्व समर्थक ताकतों के साथ जुड़ गए हैं. इस पर भुजबल ने स्पष्ट किया, 'हमने बीजेपी में विलय नहीं किया है. नीतीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री) उनके साथ थे, वह चले गए. ..ममता बनर्जी (बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में) थीं, वह बाहर आ गईं. हमने उनके साथ गठबंधन किया है, लेकिन अपनी विचारधारा नहीं छोड़ी है.''


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