Ajit Pawar On Caste Census: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार ने देश में जाति जनगणना के मुद्दे पर अपनी राय दी है. एएनआई के साथ इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या देश में जाति जनगणना होनी चाहिए? इस सवाल पर अजित पवार ने कहा कि मुझे खुद को लगता है कि एक बार होना ही चाहिए. 


अजित पवार पहले भी जाति जनगणना के पक्ष में बोल चुके हैं. उनकी पार्टी एनसीपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान घोषणापत्र में जाति-आधारित जनगणना की मांग के लिए अपने पूर्ण समर्थन पर जोर दिया था. 


इस विचारधारा का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पवार ने कहा था, ''हमारी पार्टी जाति, पंथ और धर्म के बावजूद एक इंसान के रूप में जीने के अधिकार में विश्वास करती है. हमारी पार्टी समानता, बंधुत्व और एकता में भरोसा करती है. समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाना हमारा कर्तव्य है. हम जाति आधारित जनगणना की मांग करेंगे.''


इसी साल जून महीने में महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी कोटा को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच एनसीपी मंत्री छगन भुजबल ने ने भी पूरे भारत में जाति जनगणना कराने की वकालत की थी. भुजबल ने कहा था, ''अगर यह जनगणना होती है, तो देश के ओबीसी के लिए बहुत फायदेमंद होगी. उन्हें केंद्र से अधिक धन मिलेगा.'' 


भुजबल ने आगे कहा था कि इसके होने से हम न केवल जनसंख्या, बल्कि ओबीसी की स्थिति को भी समझ पाएंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ओबीसी को भी धन उपलब्ध होगा, जो वर्तमान में केवल SC या ST के लिए उपलब्ध है. एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार भी जाति जनगणना की मांग कर चुके हैं.


लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना का मुद्दा छाया रहा था. विपक्ष खासकर राहुल गांधी ने इसकी वकालत करते आए हैं. आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने उस दौरान कहा था कि यह सिर्फ जाति जनगणना नहीं होगी, यह आर्थिक सर्वे होगा. मतलब हिंदुस्तान में किसके हाथ में कितना पैसा है, हर संस्था का सर्वे होगा. इससे पता लग सकेगा कि किस वर्ग के लोगों की क्या स्थिति है.


पिछले महीने 31 जुलाई को कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने जाति जनगणना करवाने के लिए लोकसभा में जोरदार हंगामा और नारेबाजी की थी. 


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