अजित पवार गुट को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर पार्टी की पहली प्रतिक्रिया, 'कल सभी ने देखा कि...'
Ajit Pawar: मोदी सरकार 3.0 में एनसीपी के किसी नेता को जगह नहीं मिली है. इसे लेकर विरोधी लगातार अजित पवार पर निशाना साध रहे हैं. इसपर अब एनसीपी की तरफ से पहली प्रतिक्रिया सामने आई है.
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NCP Foundation Day 2024: मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet 3.0) में अजित गुट (Ajit Pawar Faction) को जगह नहीं मिलने पर एनसीपी की तरफ से पहला बयान सामने आया है. लोकसभा चुनाव में एनसीपी को एक सीट मिलने पर विरोधी लगातार अजित पवार गुट पर निशाना साध रहे हैं. आज एनसीपी स्थापना दिवस पर सुनील तटकरे (Sunil Tatkare) ने इन्हीं सब आरोपों का खुलकर जवाब दिया है.
सुनील तटकरे ने कहा, "कल के कार्यक्रम में अजित दादा पहली पंक्ति में बैठे थे. लेकिन कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लग रहा था. वो कह रहे हैं कि बीजेपी हमारी कीमत नहीं करती. कल सभी ने देखा कि हमारी पार्टी का क्या महत्व है. अजित पवार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. अरुणाचल प्रदेश में हमें अच्छी सफलता मिली है. हम खोया हुआ राष्ट्रीय दर्जा वापस पाना चाहते हैं उसके लिए काम करना है."
तटकरे ने आगे कहा, "25 साल से संघर्ष देख रहे हैं. स्वाभिमान के मुद्दे पर लड़ाई लड़ी. जितनी आलोचना शिवसेना और बीजेपी ने नहीं की, उतनी कांग्रेस ने की है. अब बच्चों की मंडली मौजूदा चुनाव की आलोचना करने की कोशिश कर रही है. भुजबल से कहा गया कि अगर वे उन्हें मुख्यमंत्री बनाते तो पार्टी टूट जाती. नेतृत्व ने यह भूमिका निभाई. उस वक्त भुजबल को सबसे ज्यादा वोट मिले थे. हम उस समय मुख्यमंत्री का पद नहीं लेना चाहते थे, लेकिन प्रफुल्ल भाई की समझ थी कि आप नहीं लेना चाहते थे."
अजित पवार को लेकर सुनील तटकरे बोले, "दादा, आप मुझसे तब मिले थे जब आप राज्य मंत्री थे. उस समय मुझे एहसास हुआ कि एक अलग ही केमिस्ट्री है. पवार साहब 72 साल की उम्र में केंद्र में राज्य मंत्री बने. उस वक्त अगर एनसीपी ने मुख्यमंत्री पद का मौका भुना लिया होता तो पार्टी को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत महसूस नहीं होती. 2014 में समर्थन बाहर से दिया गया था. साल 2009 में 16-16 सीटों पर बीजेपी के साथ जाने का फैसला हुआ था."
उन्होंने आगे कहा, "एकनाथ शिंदे के सत्ता संभालने के बाद, सभी एनसीपी विधायकों और जयंत पाटिल ने भी पवार साहब को पत्र लिखा और विचार व्यक्त किया कि उन्हें बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में भाग लेना चाहिए. उस वक्त प्रफुल्ल पटेल और अन्य नेताओं की एक कमेटी बनाई गई. इसका मतलब सहमति था."
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