Trimbakeshwar Temple: क्या त्र्यंबकेश्वर मंदिर में अगरबत्ती जलाने की कोई प्रथा है या नहीं? अजित पवार ने दिया सीधा जवाब
Trimbakeshwar Temple News: कुछ दिन पहले त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में कुछ मुस्लिमों ने प्रवेश करने की कोशिश की थी. इसपर अब एनसीपी नेता अजित पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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Trimbakeshwar Temple News: त्रयंबकेश्वर मंदिर इलाके में हुई कथित घटना को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य का राजनीतिक माहौल गरमा गया है. मंदिर में चल रही प्रथा को लेकर राजनीतिक नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते और तरह-तरह के दावे-प्रतिदावे करते नजर आ रहे हैं. एक ओर जहां उरुस हटाने वाले संगठन और उनके साथ महा विकास अघाड़ी के नेता इस तरह की प्रथा के अस्तित्व का समर्थन करते हैं, वहीं हिंदुत्व संगठनों और बीजेपी के कुछ नेताओं ने दावा किया है कि ऐसी कोई प्रथा नहीं है.
कुछ स्थानीय जमातियों ने यह भी दावा किया कि वे मंदिर क्षेत्र को गोमूत्र से छिड़क कर 'शुद्ध' कर लेते हैं. इस पृष्ठभूमि में त्र्यंबकेश्वर में इस तरह की कोई प्रथा है या नहीं, विपक्ष के नेता अजीत पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से अपनी बात रखी है.
क्या है पूरा मामला?
कुछ दिनों पहले यह दावा किया गया था कि कुछ मुस्लिम व्यक्तियों ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में प्रवेश करने का प्रयास किया था. उससे जुड़े वीडियो भी वायरल हुए थे. हालांकि इस संगठन की तरफ से दावा किया गया है कि मुस्लिमों द्वारा मंदिर में अगरबत्ती चढ़ाने की प्रथा कई सालों से चली आ रही है. हालांकि, मंदिर प्रशासन ने इसकी शिकायत की है और दावा किया है कि ऐसी कोई प्रथा नहीं है.
क्या बोले अजित पवार?
इस बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में पूछे जाने पर अजित पवार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा, "क्या प्रथागत नहीं है? तुम त्र्यंबकेश्वर जाओ. मैंने हीरामन खोसकर, छगन भुजबल से बात की. नासिक जिले के कई गणमान्य लोगों से बात की. त्र्यंबकेश्वर के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा 100 साल से चली आ रही है. वे बाहर जाते हैं, भीतर नहीं. हुसैन दलवई भी वहां गए. कुछ जगहों पर रीति-रिवाज होते हैं."
परम्पराओं पर क्या बोले पवार
“हम मारुति राया को नारियल फोड़कर कान्हेरी में अभियान शुरू करते हैं. लेकिन वहां महिलाओं को अंदर जाने की इजाजत नहीं है. यह काम करता है, लोग अनुसरण करते हैं. किसी को क्या अनुसरण करना चाहिए यह उसका प्रश्न है. लेकिन इसे भावनात्मक मुद्दा न बनाएं. हमारी अपील है कि जातियों के बीच दरार नहीं होनी चाहिए. स्थानीय लोगों ने भी इस संबंध में अपील की है. कहा जाता है कि वहां वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है.'' अजित पवार ने भी इसका जिक्र किया.
अजित पवार बोले, “औरंगाबाद, अकोला, शेवगांव और त्र्यंबकेश्वर में विभिन्न प्रकार के दंगे हुए. कारण क्या था? जब हम राजनीति में नहीं थे तब भी हम जहां भी दर्शन करने जाते थे वहां सभी जाति और धर्म के लोग दर्शन करते थे. हमारे पास एक तरीका है. भगवान के दर्शन करने हैं तो गुरुद्वारे में जाएं, चर्च जाएं, दरगाह जाएं, चादर चढ़ानी है तो जाएं.
देवेंद्र फडणवीस को दी सलाह
इस बीच अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस को सलाह दी है कि इन सभी मामलों में पुलिस को जांच में पूरी छूट दी जानी चाहिए. “दंगों को नियंत्रित नहीं किया जा रहा है. यह बढ़ रहा है. कीमत गरीबों को चुकानी पड़ती है. इसलिए फडणवीस को इस पर ध्यान देना चाहिए. फडणवीस को इसकी जांच के लिए स्थानीय पुलिस को पूरी अनुमति देनी चाहिए."
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