Marathi Language: महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता अजित पवार ने गुरुवार को केंद्र 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की. पवार ने महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे से मांग की कि वह इस मांग को केंद्र के सामने उठाएं. 1 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य का गठन हुआ था, इसी के उपलक्ष्य में हर साल 1 मई को महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है.


सीएम शिंदे को लिखे पत्र में पवार ने कहा कि मराठी भाषा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के हर मापदंड को पूरा करती है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी सहित हर विभाग ने प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. हर विभाग ने इसको लेकर अपनी पॉजिटिव रिपोर्ट दी है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले पर केवल केंद्र की मंजूरी मिलना बाकी है.


'केंद्र मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे'


पवार ने कहा कि मैं मांग करता हूं कि केंद्र सरकार 'अमृतकाल' के उपहार के रूप में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे. पवार ने कहा कि जब 2022 में एमवीए सरकार सत्ता में थी, उस वक्त राज्य के मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात की थी, जिन्होंने देसाई को बताया था कि पठारे कमिटी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है.


'पठारे कमिटी की रिपोर्ट के बावजूद मराठी को शास्त्रीय भाषा का नहीं मिला दर्जा'


देसाई ने तब कहा था कि राज्य सरकार ने साहित्यकार रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के मानदंड के लिए भाषा की प्राचीनता, मौलिकता और निरंतरता और साहित्यिक परंपराओं के बारे में सबूतों का हवाला देते हुए एक बड़ी रिपोर्ट तैयार की थी.


अजित पवार ने किया फडणवीस का जिक्र


पवार ने कहा कि 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने  महाराष्ट्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों के लिए पीएम मोदी से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और उनसे मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के बारे में निर्णय लेने की भी अपील की थी. विपक्ष के नेता ने कहा कि जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे उस समय भी इस संबंध में उनके प्रयास असफल रहे.


जब पृथ्वीराज चव्हाण मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई जिसने 435 पन्नों की एक रिपोर्ट सौंपी थी जो यह बताती थी कि मराठी कैसे एक शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने की हकदार है.


अजित पवार ने कहा कि तमिल, तेलुगु, संस्कृत, मलियालम, कन्नड और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल चुका है लेकिन साहित्य अकादमी की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बावजूद मराठी भाषा को यह दर्जा मिलना अभी भी बाकी है.


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