Maharashtra Politics: 'मुझे बारामती से चुनाव लड़ने की हिम्मत...', नेता प्रतिपक्ष की तारीफ करते हुए ये क्या कह गए अजित पवार?
Ajit Pawar: अजित पवार ने विधानसभा में विजय वडेट्टीवार की तारीफ की है. उन्होंने कहा, जब आप शिवसेना में शामिल हुए थे. तब विदर्भ में शिवसेना का अस्तित्व नहीं था.
Maharashtra Assembly: अजित पवार समेत करीब 40 एनसीपी विधायकों ने शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन दिया है. महाविकास अघाड़ी सरकार के पतन के बाद अजीत पवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया गया था. लेकिन कुछ दिनों बाद अजित पवार खुद कुछ विधायकों के साथ सत्ता में शामिल हो गए. इसलिए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था. इस सीट पर अब महाविकास अघाड़ी की ओर से कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार को नियुक्त किया गया है.
विजय वडेट्टीवार को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद विधानसभा के मानसून सत्र में बधाई प्रस्ताव लाया गया. अभिनंदन प्रस्ताव पर बोलते हुए अजित पवार ने जोरदार हंगामा किया. लोकसत्ता के अनुसार, इस बीच, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनमें पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र बारामती से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने विजय वडेट्टीवार के राजनीतिक करियर की भी सराहना की.
अजित पवार ने की वडेट्टीवार की तारीफ
अजित पवार ने विजय वडेट्टीवार को संबोधित करते हुए कहा, ''जब आप शिवसेना में शामिल हुए थे. तब विदर्भ में शिवसेना का अस्तित्व नहीं था. लेकिन आपने चंद्रपुर, चिमूर और ब्रम्हपुरी जैसी जगहों पर शिवसेना को बढ़ाने के लिए काम किया. इसमें आपके सीनियर्स ने भी आपका मार्गदर्शन किया. लेकिन आपके सभी कार्यों को देखने के बाद आपको 1998 में विधान परिषद सदस्य का पद मिला. उसके बाद आप विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन गये हैं. विधायिका में आपका 25 साल का राजनीतिक करियर है. आपका करियर ऐसे ही चलता रहेगा. क्योंकि आप चाहे शिवसेना में हों या कांग्रेस में, आपने अपनी राजनीतिक भूमिका नहीं छोड़ी है.'
क्या बोले अजित पवार?
अजित पवार ने यह भी कहा, “हमारे क्षेत्र में निर्वाचन क्षेत्र बदलना बहुत मुश्किल है, इसलिए मैं बारामती में सबसे पहले चुना जाऊंगा. लेकिन हम पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्रों में खड़े होने का साहस नहीं दिखा सकते. लेकिन आप संगमनेर में भी खड़े हो सकते हैं और भारी मतों से निर्वाचित हो सकते हैं. हम दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में जाने से पहले दस बार सोचते हैं. लेकिन आपने चिमूर को चुना. ब्रम्हपुरी दो बार अच्छी तरह से निर्वाचित हुए. बेशक आपका काम अच्छा है. आपका जनसंपर्क अच्छा है, इसलिए आप यह सब कर पाए.''