Pune News: पुणे (Pune) की पूर्व पुलिस प्रमुख मीरान चड्ढा बोरवंकर (Meeran Chadha Borwankar) ने एक किताब में दावा किया है कि तत्कालीन ‘‘जिला मंत्री’’ ने 2010 में उन पर उनके विभाग से संबंधित एक नीलाम भूखंड को विजेता बोली लगाने वाले को सौंपने की प्रक्रिया जल्द पूरी करने का दबाव डाला था. ‘मैडम कमिश्नर’ किताब में जिला मंत्री के नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की सेवानिवृत्त अधिकारी का इशारा जाहिर तौर पर महाराष्ट्र के वर्तमान उपमुख्यमंत्री राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजीत पवार (Ajit Pawar) की ओर है. पवार उस समय पुणे जिले के ‘‘संरक्षक मंत्री’’ के पद पर थे, जब राज्य में कांग्रेस-NCP की सरकार थी.
बोरवंकर 2010 और 2012 के बीच पुणे की पुलिस आयुक्त थीं. बाद में उन्होंने पुणे में अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) के रूप में कार्यभार संभाला. पुस्तक के अनुसार, मंत्री ने जोर देकर कहा कि वह 2010 में शहर के यरवदा इलाके में नीलाम की गई तीन एकड़ पुलिस भूमि को ‘‘शीर्ष बोली लगाने वाले’’ को सौंपने का काम पूरा करें, लेकिन पुलिस अधिकारी ने यह कहकर पीछे हटने से इनकार कर दिया कि यह जमीन पुलिस विभाग के लिए नए कार्यालयों और आवासीय क्वार्टर के निर्माण के लिए उपयोगी होगी. इस पर टिप्पणी के लिए बोरवंकर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्हें किए गए फोन कॉल और भेजे गए संदेश का कोई जवाब नहीं आया.
किताब में मीरान चड्ढा बोरवंकर ने क्या कहा
किताब में बोरवंकर ने कहा कि एक दिन संभागीय आयुक्त ने उन्हें फोन किया और कहा कि ‘‘जिला मंत्री’’ पुलिस भूमि के सिलसिले में उनसे मिलना चाहते हैं. पुस्तक में लिखा है, ‘‘…मुझे पता चला कि लगभग तीन एकड़ जमीन की नीलामी की गई थी और हमें इसे सबसे अधिक बोली लगाने वाले को सौंपना था, जो बदले में मौजूदा पुलिस मुख्यालय में पुलिसकर्मियों के लिए पांच सौ आवासीय क्वार्टर का निर्माण करेगा.’’ सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने लिखा कि तय कार्यक्रम के अनुसार वह संभागीय आयुक्त कार्यालय में जिला मंत्री से मिलीं.
पुस्तक में वह लिखती हैं, ‘‘उनके (जिला मंत्री) पास क्षेत्र का एक बड़ा कागज का नक्शा था. उन्होंने बताया कि नीलामी सफलतापूर्वक संपन्न हो गई है और मुझे शीर्ष बोली लगाने वाले को जमीन सौंपने के लिए आगे बढ़ना चाहिए. मैंने उत्तर दिया कि चूंकि यरवदा वास्तव में पुणे का केंद्र बन गया है, इसलिए पुलिस को भविष्य में ऐसी प्रमुख भूमि कभी नहीं मिलेगी. हमें पुलिस के लिए अधिक कार्यालयों के साथ-साथ आवासीय भवन के निर्माण के लिए इसकी आवश्यकता होगी.’’ पुस्तक के कुछ अंशों के अनुसार, ‘‘लेकिन मंत्री ने मेरी बात को खारिज कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि मैं प्रक्रिया पूरी करूं.’’
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने किया ये दावा
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने दावा किया कि निर्देशों से नाखुश होकर उन्होंने जिला मंत्री से पूछा कि उनके पूर्ववर्ती (पिछले पुलिस आयुक्त) ने जमीन क्यों नहीं सौंपी, जबकि नीलामी पहले ही समाप्त हो चुकी थी. तत्कालीन संभागीय आयुक्त दिलीप बंड ने कहा कि अजीत पवार का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है और यह प्रस्ताव गृह विभाग का था. उन्होंने कहा कि NCP नेता ने इस मामले पर बोरवंकर को तलब किया था. बंड ने कहा कि बोरवंकर को जमीन सौंपने पर आपत्ति थी और उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की कि यह पुलिस विभाग के लिए अच्छा होगा क्योंकि इससे कर्मचारियों के लिए क्वार्टर मिलेंगे.