Maharashtra News: अजमेर दरगाह शरीफ के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स जल्द शुरू होने जा रहा है. वहीं इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार (24 दिसंबर) चादर पेश की. यह चादर खादिम सैयद जिशान चिश्ती को सौंपी गई.
उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री से अजमेर शरीफ में हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के 813वें उर्स के मौके पर चादर चढ़ाने के लिए भेजी गई. इस अवसर पर शिवसेना यूबीटी नेता विनायक राऊत, शिव सेना उपनेता नितिन नंदगांवकर, मुजफ्फर पावस्कर, कमलेश नवले, नौमान पावस्कर और उपशाखा प्रमुख गणेश माने भी मौजूद थे.
मुद्दा बना सकती है बीजेपी
दरअसल, उद्धव ठाकरे ने ये चादर ऐसे समय पर भेजी है जब अजमेर दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने के दावे को लेकर मामला कोर्ट में है. ऐसे में ठाकरे का ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए चादर भेजने को लेकर विपक्ष मुद्दा बना सकती है. बीएमसी चुनाव से पहले बीजेपी इसको मुद्दा बना सकती है.
24 जनवरी को अगली सुनवाई
बता दें कि राजस्थान के अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर शुक्रवार (20 दिसंबर) को सिविल कोर्ट में दूसरी बार सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिकाकर्ता और दूसरे पक्षों के वकीलों की दलील सुनकर फैसले की अगली तारीख 24 जनवरी दी है.
अजमेर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को नोटिस भेजा था. कोर्ट में पांच और लोगों/संस्थाओं ने खुद को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी लगाई. इसके साथ ही दरगाह कमेटी के वकील अशोक माथुर ने याचिका को खारिज करने की अर्जी लगाई. वहीं, विष्णु गुप्ता और अंजुमन कमेटी के वकीलों ने अपने-अपने पक्ष रखे. दरगाह दीवान के बेटे नसीरुद्दीन चिश्ती भी कोर्ट पहुंचे.
उन्होंने कहा कि हम ख्वाजा साहब के वंशज हैं। हमें भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए था. हमने कोर्ट में अपना पक्ष रखा और पक्षकार बनाने की अर्जी लगाई. वहीं, अजमेर दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाले विष्णु गुप्ता ने कहा कि कोर्ट में वर्शिप एक्ट को लेकर बहस हुई थी, जिसमें हमारे वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि दरगाह वर्शिप एक्ट में नहीं आती है.
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