Badlapur Case: बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे (Akshay Shinde) के एनकाउंटर मामले में महाराष्ट्र सरकार और ठाणे पुलिस की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है. कोर्ट ने तलोजा जेल से लेकर मुंब्रा बायपास तक के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने को कहा है. इसके साथ ही वैन में मौजूद सभी कर्मचारी और अधिकारी के सीडीआर को भी सबमिट करने का आदेश दिया गया है.


कोर्ट ने पूछा कि चार-पांच लोग आरोपी को काबू कैसे नहीं कर पाए. सिर पर गोली क्यों चलाई गई? बैलस्टिक और फॉरेंसिक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है. उधर, अक्षय शिंदे के वकील अमित कटरनावारे ने कोर्ट से विनती की है कि अक्षय शिंदे को तलोजा जेल से कस्टडी में लेते समय की और रास्ते के सभी दुकानों की सीसीटीवी तुरंत सुरक्षित रखी जाए. 


अक्षय ने एनकाउंटर वाले दिन की थी परिजनों से मुलाकात
वकील ने कोर्ट को बताया कि अक्षय शिंदे से जेल में उनके परिवार से मुलाकात हुई थी. घटना के दिन उसने अपने माता-पिता से बातचीत की और पूछा था कि उसे जमानत कब मिलेगी. वह कुछ भी करने की मानसिक स्थिति में नहीं था जैसा कि पुलिस ने दावा किया है कि उसने पिस्तौल छीन ली और अधिकारियों पर गोली चला दी. वकील ने कहा कि परिवार ने मुठभेड़ से कुछ घंटे पहले ही मुलाकात की थी,उसके हाव-भाव से यह नहीं पता चलता कि वह भागने की फिराक में था.


अक्षय शिंदे के परिवार ने लगाया यह आरोप
वकील ने यह भी कहा कि उसने माता-पिता से 500 रुपये मांगे थे ताकि वह कैंटीन से कुछ खा सके. वह भागने की स्थिति में नहीं था और न ही उसके पास पुलिस अधिकारी से पिस्तौल छीनने की शारीरिक क्षमता थी. शिंदे के परिवार ने आरोप लगाया कि आगामी चुनावों के मद्देनजर उनके बेटे की हत्या की गई है.


वकील ने कहा कि कानून के अनुसार जब भी कोई मुठभेड़ फर्जी होने का आरोप लगाता है तो एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. हमारे पास मामला दर्ज करने के लिए जेएमएफसी से संपर्क करने का वैकल्पिक उपाय है लेकिन उस अदालत के पास एसआईटी को आदेश देने के लिए इस अदालत जैसी असाधारण शक्तियां नहीं होंगी. 


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