केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुगलों और अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के शासन के दौरान नष्ट किए गए मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज की रविवार को सराहना की और कहा कि मराठा योद्धा के बाद से जारी जीर्णोद्धार कार्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है. शाह ने यह भी कहा कि छत्रपति शिवाजी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा अत्याचार के खिलाफ विद्रोह था और उनके द्वारा शुरू की गई ‘स्वराज’ की लड़ाई आज भी जारी है.


शाह मराठा साम्राज्य के संस्थापक की जयंती के मौके पर पुणे के नरहे-अंबेगांव में शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ‘थीम पार्क’ ‘शिवसृष्टि' के पहले चरण का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे. इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे.


यह परियोजना 21 एकड़ भूमि में फैली हुई है. इसकी परिकल्पना पद्म विभूषण से सम्मानित शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे द्वारा की गई थी, जिन्होंने इसके निष्पादन के लिए महाराजा छत्रपति प्रतिष्ठान का गठन किया था.


शाह ने कहा, ‘‘मुगलों और अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के शासन के दौरान कई मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था. पिछले हफ्ते, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सप्तकोटेश्वर मंदिर का पुनर्विकास किया, जिसका पुनर्निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया था. इसी तरह, दक्षिण भारत के मंदिरों का भी पुनर्विकास मराठा योद्धा द्वारा किया गया था. शिवाजी महाराज ने मंदिरों के सामने भव्य द्वार बनवाए और इन संरचनाओं को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया.’’


उन्होंने कहा, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद, बाजीराव पेशवा, नानासाहेब पेशवा, माधवराव पेशवा और अंत में पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी ने मंदिरों के जीर्णोद्धार की इस परंपरा को जारी रखा. आज हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस काम को आगे बढ़ा रहे हैं, क्योंकि राममंदिर बन रहा है, काशी विश्वनाथ गलियारे का भी निर्माण किया गया है और सोमनाथ मंदिर को सोने से सजाया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार और प्रधानमंत्री मोदी कई मंदिरों का पुनर्विकास करा रहे हैं.’’


शाह ने कहा कि भारत के इतिहास को आकार देने में शिवाजी महाराज का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि महान मराठा शासक पर शोध करते हुए, उन्हें महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण का एक बयान मिला. शाह ने चव्हाण के हवाले से कहा, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज न होते, तो सारी दुनिया जानती है कि भारत का क्या हश्र होता. पाकिस्तान की सीमा के लिए बहुत दूर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. शायद सीमा आपके और मेरे घर के बाहर मिल जाती.’’


उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि शिवाजी महाराज का जीवन सत्ता हासिल करने के बारे में नहीं था. उनका जीवन 100 से अधिक वर्षों से किए गए अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह करने के बारे में था. उनका जीवन 'स्वधर्म' के लिए लड़ने और 'स्वभाषा' की प्रशंसा करने के बारे में था. उनका जीवन 'स्वराज' की स्थापना के बारे में था.’’


शाह ने कहा कि स्वराज की स्थापना करके उन्होंने (शिवाजी) दुनिया को संदेश दिया था कि कोई भी भारत पर अत्याचार नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का यह विचार 1857 तक प्रासंगिक था. उनके बाद, इस विचारधारा को बाद में छत्रपति संभाजी, छत्रपति राजाराम, छत्रपति शाहू और बाद में 1713 से 1818 तक पेशवाओं ने आगे बढ़ाया.’’


उन्होंने कहा,‘‘अटक से कटक तक, गुजरात से बंगाल तक फैली स्वराज की इस यात्रा ने पूरे देश को एक नया जोश दिया. शिवाजी महाराज द्वारा शुरू की गई स्वराज की लड़ाई आज भी जारी है. स्वराज, स्व-धर्म और स्वभाषा पर उनका जोर हर पहलू पर उल्लेखित होता था और इसीलिए उनकी राजमुद्रा (शाही मुहर) संस्कृत में बनाई गई थी.’’


शाह ने कहा कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज थे, जिन्होंने प्रशासनिक शब्दों का पहला शब्दकोश बनाया था. शाह ने कहा कि स्वराज के बाद शिवाजी महाराज ने 'सुराज' (सुशासन) की दिशा में काम किया. शाह ने कहा कि शिवाजी महाराज ने 'अष्ट-प्रधान मंडल' (आठ मंत्रियों की परिषद) की अवधारणा पेश की.


शाह ने छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली कार्यों को जनता के बीच फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए दिवंगत बाबासाहेब पुरंदरे की प्रशंसा की.


उन्होंने कहा, ‘‘यदि ऐसे व्यक्ति ने अपना जीवन शिवाजी महाराज को समर्पित नहीं किया होता, तो शिवाजी महाराज के बारे में जानने वालों की संख्या कम होती.’’


शाह ने शिवसृष्टि के बारे में बात करते हुए कहा कि यह एशिया का सबसे बड़ा ‘थीम पार्क’ होगा, जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों और तकनीक का सही मिश्रण है. उन्होंने कहा, ‘‘परियोजना पर काम नहीं रुकेगा. मुझे विश्वास है कि परियोजना समय पर पूरी हो जाएगी.’’