Maharashtra Lok Sabha Elections Result 2024: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में लड़ाई दिलचस्प हो चुकी है. मुंबई नॉर्थ वेस्ट लोकसभा सीट से शिवसेना उद्धव गुट के अमोल कीर्तिकर मात्र एक वोट से जीते. इस पर शिवसेना शिंदे गुट के रवींद्र वायकर ने कड़ी आपत्ति जताई और दोबारा काउंटिंग की मांग की. इसके बाद वायकर ने जीत दर्ज की.
गिनती में रविंद्र वायकर 48 वोटों से विजयी हुए. इसको लेकर जमकर हंगामा हुआ. दिलचस्प है कि अमोल कीर्तिकर के पिता गजानन कीर्तिकर शिंदे गुट में हैं.
उद्धव ठाकरे का अहम बयान
रविंद्र वायकर की जीत के बाद शिवसेना यूबीटी (उद्धव गुट) ने कहा कि वो इसके खिलाफ कोर्ट जाएगी. उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में और सीट पर जीतने की उम्मीद थी, लगता है कोई गड़बड़ी हुई है. अमोल कीर्तिकर की काउंटिंग में गड़बड़ी हुई है, हम इलेक्शन कमीशन को चैलेंज करेंगे.
अमोल को टिकट मिलने पर संजय निरुपम ने छोड़ी पार्टी
बता दें शिवसेना यूबीटी की तरफ से जब इस सीट से अमोल कीर्तिकर के नाम का ऐलान किया गया था, तो कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने विरोध में मोर्चा खोल दिया था. इसके बाद पार्टी को अल्टीमेटम दिया, लेकिन जब यह सीट महाविकास आघाड़ी में शिवसेना यूबीटी के पास चली गई तो निरुपम ने पार्टी छोड़ दी.
2019 में जीती थी शिवसेना
साल 2019 में मुंबई नार्थ वेस्ट लोकसभा में कुल 21 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन यहां मुख्य मुकाबला शिवसेना और कांग्रेस के बीच हुआ. इस सीट पर 2019 लोकसभा चुनाव में शिवसेना के गजानन चंद्रकांत कीर्तिकर ने दोबारा जीत हासिल की. उन्हें 5,70,063 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस पार्टी के संजय निरुपम 3,09,735 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वहीं इस बार उनके बेटे अमोल कीर्तिकर ने जीत हासिल की.
कितनी सीटों पर किसने लड़ा चुनाव
महाराष्ट्र में महायुति के तहत बीजेपी ने 28 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा, जबकि उसके सहयोगी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने 14 निर्वाचन क्षेत्रों में और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने पांच निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ा. वहीं शिवसेना (यूबीटी) के महा विकास अघाड़ी के सदस्यों ने 21 निर्वाचन क्षेत्रों में से कांग्रेस ने 17 पर और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने 10 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ा.
राजनीतिक इतिहास की बात करें तो 1967 से 1977 तक ये सीट कांग्रेस के खाते में रही. इसके बाद फेमस वकील राम जेठमलानी पहले जनता पार्टी फिर बीजेपी से यहां के सांसद बने. इसके बाद फिर 1984 से 1996 तक कांग्रेस के सांसद और फिल्म अभिनेता सुनील दत्त यहां से सांसद रहें. 1996 और 1998 में शिवसेना को भी यहां से जीत मिली, लेकिन 1999 में फिर से ये सीट सुनील दत्त के पास आ गई. 2005 में सुनील दत्त की मौत के बाद हुए उपचुनाव में सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त यहां से संसद बनी थीं.
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