Antilia bomb scare: मुंबई की एक विशेष अदालत ने बर्खास्त पुलिस कर्मी रियाजुद्दीन काजी(Riyazuddin Qazi) को मंगलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया. काजी को पिछले साल उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के आवास के पास एक गाड़ी में विस्फोटक (explosives) मिलने और मनसुख हिरेन की हत्या (Murder of Mansukh Hiren) में कथित भूमिका के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency) ने गिरफ्तार किया था.
एनआईए (NIA) के लिए विशेष न्यायाधीश ए टी वानखेड़े ने काजी की जमानत अर्जी खारिज कर दी. मुख्य आरोपी सचिन वाजे (Sachin Waze) के साथ काम करने वाले काजी को दक्षिण मुंबई स्थित अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो कार में जिलेटिन की छड़ें मिलने के दौरान मुंबई अपराध शाखा (Mumbai Crime Branch) की एक इकाई में तैनात किया गया था.
काजी के वकील ने दी ये दलील
पिछले साल 13 मार्च को तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक वाजे की गिरफ्तारी के बाद मामले में काजी की कथित भूमिका सामने आई थी. रियाजुद्दीन की ओर से वकीलों युग चौधरी और हसनैन काजी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल पर सबूत नष्ट करने की साजिश रचने के आरोप हैं जो जमानती अपराध है और उन पर हत्या या सख्त ‘विधिविरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम’ (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत किसी अपराध के आरोप नहीं हैं.
अधिवक्ताओं ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि सचिन वाजे ने जिस सामग्री को कथित रूप से नष्ट कर दिया, उसका इस्तेमाल अपराध में किया गया था. उन्होंने दलील दी कि रियाजुद्दीन काजी ने जो कुछ किया, अपने आधिकारिक ओहदे के तहत किया. काजी और वाजे के अलावा मामले के अन्य आरोपियों में पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा और पूर्व पुलिस कर्मी विनायक शिंदे तथा सुनील माने शामिल हैं.
दक्षिण मुंबई में अंबानी के घर के बाहर पिछले साल 25 फरवरी को स्कॉर्पियो में विस्फोटक सामग्री मिली थी. हिरेन ने तब दावा किया था कि वह उसकी गाड़ी है और चोरी हो गयी थी. कुछ दिन बाद पांच मार्च को हिरेन का शव ठाणे में एक नाले में मिला था.
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