बंबई उच्च न्यायालय ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री बरामद होने और व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में गिरफ्तार पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को जमानत देने से सोमवार को इनकार कर दिया. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा मामले की जिस तरह जांच की गई है. अदालत ने उस पर भी अप्रसन्नता जताई.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति आर एन लड्ढ़ा की पीठ ने कहा कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास मिली एसयूवी में जिलेटिन की छड़ें रखने के संबंध में बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे के साथ शामिल सह आरोपियों को लेकर एनआईए की जांच के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. पीठ ने कहा कि एजेंसी ने तह में जाकर मामले की जांच नहीं की है.
दक्षिण मुंबई में 25 फरवरी, 2021 को उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास एक एसयूवी मिली थी जिसमें विस्फोटक सामग्री रखी हुई थी. यह एसयूवी व्यवसायी मनसुख हिरन की थी जो बाद में ठाणे में मृत पाया गया था.
अदालत ने कहा, ‘‘प्रमुख कारोबारी के आवास के पास स्कॉर्पियो वाहन को लगाने की साजिश और उक्त वाहन में जिलेटिन की छड़ें रखने के आरोप में एनआईए ने जिस तरह से जांच की है, उसके प्रति हम रोष व्यक्त करते हैं.’’
पीठ ने कहा कि एनआईए उन व्यक्तियों के बारे चुप है जिनके साथ वाजे ने जिलेटिन की छड़ें लगाने की साजिश रची थी. पीठ ने आगे कहा कि जिलेटिन की छड़ों वाले वाहन की पार्किंग से संबंधित मामले के संबंध में एनआईए द्वारा कई सवालों का जवाब नहीं दिया गया. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद और भरोसा है कि एनआईए इस पहलू की आगे और गंभीरता से जांच करेगी.’’
पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी के आरोपपत्र में प्रथम दृष्टया यह खुलासा नहीं होता है कि शर्मा वाहन में जिलेटिन की छड़ें लगाने की साजिश में शामिल थे. पीठ ने कहा कि एनआईए ने वाहन से संबंधित अपराध के लिए पूर्व पुलिसकर्मी के खिलाफ आरोपपत्र में जिक्र नहीं किया है.
शर्मा को जमानत देने से इनकार करते हुए, पीठ ने कहा कि हिरन की हत्या के मामले में एनआईए द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के अनुसार, यह प्रथम दृष्टया शर्मा की मिलीभगत की ओर इशारा करता है. अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘अपीलकर्ता, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी है. उसके दबदबे, गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.’’
शर्मा ने जमानत याचिका खारिज करने के विशेष एनआईए अदालत के फरवरी 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए पिछले साल उच्च न्यायालय का रुख किया था. आरोप लगाया गया कि शर्मा ने मनसुख हिरन की हत्या के लिए अपने पूर्व सहयोगी सचिन वाजे की मदद की थी. शर्मा को इस मामले में जून 2021 में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
इसे भी पढ़ें: