Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर सबको चौंका दिया है. अशोक चव्हाण महाराष्ट्र की कांग्रेस (गठबंधन) सरकारों में बड़े मंत्री पद संभाल चुके हैं और दो साल तक मुख्यमंत्री भी रहे. चव्हाण के पिता शंकर राव चव्हाण भी महाराष्ट्र के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. प्रदेश में इकलौते पिता-पुत्र की जोड़ी है, जो सीएम रह चुके हैं. कल तक I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक में कांग्रेस के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग करने वाले चव्हाण ने आज पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया.


हालांकि अशोक चव्हाण का कांग्रेस से इस्तीफ़ा भले ही चौंकाने वाला हो लेकिन इसकी अटकलें क़रीब एक साल से लगाई जा रही थी. अशोक चव्हाण बेहतर समय देखकर बीजेपी में एंट्री मारना चाहते थे. 


कांग्रेस लीडरशिप से नाखुश?
 
अशोक चव्हाण खुद के लिए महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद चाहते थे लेकिन ये पद नाना पटोले को दिया गया. बताया जाता है कि पिछले कुछ महीने में नाना पटोले और अशोक चव्हाण के बीच तल्खी काफी बढ़ गई थी. उद्धव ठाकरे के इस्तीफ़े और MVA सरकार गिरने के बाद अशोक चव्हाण अपने लिए बेहतर रोल चाहते थे. पहले शिवसेना और बाद में एनसीपी में टूट के बाद उन्हें MVA का भविष्य दिखाई नहीं दे रहा था. अशोक चव्हाण महाराष्ट्र में लोकसभा सीट बंटवारे से भी खुश नहीं थे. उन्हें ये मंजूर नहीं था कि राज्य की 48 सीट में शिवसेना अधिक सीट पर लड़े और राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस कम सीट पर लड़े. 


देवेंद्र फडणवीस का अहम रोल?


अशोक चव्हाण काफी पहले बीजेपी में आते और शिंदे मंत्रिमंडल में मंत्री पद ले सकते थे लेकिन महाराष्ट्र बीजेपी के नेता चव्हाण को मंत्रिमंडल में लेने से खुश नहीं थे. राज्य के बीजेपी नेता चाहते हैं कि अगर वो बीजेपी में आएं तो केंद्र की राजनीति करें. चव्हाण के बीजेपी में जाने की अटकलें हैं और कहा जा रहा है कि इसमें देवेंद्र फडणवीस का अहम रोल है. पिछले साल ही अशोक चव्हाण और देवेंद्र फडणवीस के बीच कई बैठक हो चुकी है. चव्हाण को बीजेपी में शामिल करने को लेकर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी हरी झंडी दे चुका है. बीजेपी के कई बड़े नेता सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि चव्हाण बीजेपी के दरवाज़े पर हैं. 


बीजेपी के लिए अहम क्यों अशोक चव्हाण? 


साल 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में जिस तरीक़े से शिवसेना उद्धव ठाकरे ने बीजेपी गठबंधन को बहुमत मिलने के बावजूद सत्ता से दूर कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था, उसके दो साल बाद देवेंद्र फडणवीस ने ऑपरेशन लोटस पर काम शुरू कर दिया था. पहले शिवसेना एकनाथ शिंदे की बग़ावत, फिर अजीत पवार की एनसीपी और अपने चाचा शरद पवार से बग़ावत. इसमें उद्धव ठाकरे और शरद पवार कमज़ोर हुए. अब जब बात लोकसभा चुनाव की आई तो कांग्रेस में भी सेंधमारी हो गई. अशोक चव्हाण अपने साथ अपने कई करीबी विधायकों, ज़िला अध्यक्ष, ज़िला उपाध्यक्ष, पूर्व विधायक को भी बीजेपी में लेकर आएंगे. बीजेपी में एक बड़ा मराठा चेहरा भी जुड़ जाएगा और विदर्भ में पार्टी को मज़बूती मिलेगी. 


बीजेपी की समीक्षा


लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी ने महाराष्ट्र की 48 सीटों की समीक्षा की और पाया की विदर्भ क्षेत्र की लोकसभा की 6 सीटें पार्टी के लिए चुनौती है, जिसमें नांदेड, सोलापुर, लातूर जैसी सीट शामिल है. बीजेपी अशोक चव्हाण और कांग्रेस कैडर को साथ लेती है तो ये सीट जीती जा सकती है. 


अशोक चव्हाण के साथ कितने विधायक आएंगे? 


सूत्र बताते हैं कि अशोक चव्हाण के 12-14 विधायक भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से जुड़ेंगे लेकिन ये राज्यसभा चुनाव के बाद हो सकता है. दरअसल महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीट पर चुनाव होने हैं. संख्याबल के आधार पर बीजेपी तीन, शिवसेना एकनाथ शिंदे-1, एनसीपी अजीत पवार-1 राज्यसभा सीट जीत सकते हैं. लेकिन बीजेपी ने अगर छठी सीट भी लड़ने का मन बनाया तो उसे जीतने के लिए क्रॉस वोटिंग हो सकती है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस के अशोक चव्हाण समर्थक MLA क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी की राज्यसभा सीट जीता सकते हैं. उधर, कांग्रेस MVA के संयुक्त राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को मैदान में उतार सकती है.


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