Aurangzeb Tomb Controversy: मुगल शासक औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सोशल एक्टिविस्ट केतन तिरोडकर की तरफ से दायर याचिका में न्यायालय से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को औरंगजेब के मकबरे को राष्ट्रीय स्मारकों की सूची से हटाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है. 


इसमें तर्क दिया गया है कि यह स्थल एएसआई अधिनियम, 1958 की धारा 3 के अनुरूप नहीं है, जो कुछ प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों को राष्ट्रीय महत्व का बताता है.


'...ताकि सांप्रदायिक तनाव पैदा न हो'


याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को चाहिए कि इस मकबरे को पुरातत्व विभाग की सूची से हटाकर वहां से स्थायी रूप से हटा दिया जाए, ताकि भविष्य में फिर से सांप्रदायिक तनाव पैदा न हो.


क्या है हिंदू संगठनों की मांग?


बता दें की छावा फिल्म आने के बाद हिंदू संगठनों ने महाराष्ट्र के संभाजीनगर के खुलदाबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग तेज कर दी. राज्य सरकार का कहना है कि कब्र एएसआई संरक्षित है, ऐसे में हटाने को लेकर फैसला वो नहीं ले सकती है.


विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल की मांगों के बीच  17 मार्च को नागपुर में हिंसा हुई. अफवाह फैली की हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन के दौरान इस्लामिक चिह्नों का अपमान किया. इसी के बाद हिंसा हुई. हिंसा के बाद प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया.


अब तक 105 लोगों की हुई गिरफ्तारी


इस मामले में 10 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है और 105 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें 10 नाबालिग भी शामिल हैं. शुक्रवार (21 मार्च) को ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एबीपी माझा से खास बातचीत में कहा कि इस मामले में किसी भी दोषियों को नहीं छोड़ेंगे.


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