Mumbai News: मुंबई बीजेपी प्रमुख आशीष शेलार ने बुधवार को कहा कि अच्छा होता अगर बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बाबरी मस्जिद विध्वंस में शिवसेना कार्यकर्ताओं की भूमिका के बारे में अपनी टिप्पणी नहीं की होती. पाटिल ने एक बयान में कहा कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के समय शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता मौजूद नहीं था.


इसने भारतीय जनता पार्टी को संकट में डाल दिया है, क्योंकि यह महाराष्ट्र सरकार में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की साझीदार है. शेलार की ये प्रतिक्रिया नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद आई है.


आंदोलन में बाल ठाकरे के विचारों का किया गया सम्मान


उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पाटिल ने निजी तौर पर ये टिप्पणियां कीं. शायद यह बेहतर होता कि वह ऐसी टिप्पणियां नहीं करते. सभी विभिन्न समुदायों और समूहों को एक साथ लाने के लिए काम कर रहे थे. बालासाहेब ( दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे) की इसमें (राम जन्मभूमि आंदोलन) भूमिका सहायक और मददगार थी. हमने इसका स्वागत किया है, इसका सम्मान किया है और इस आंदोलन में उनके (बाल ठाकरे के) विचारों का सम्मान किया है.


बाबरी ढांचा विध्वंस हिंदुओं की सहज प्रतिक्रिया थी


महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री शेलार ने आगे कहा कि मैं उद्धव जी (उद्धव ठाकरे) से पूछना चाहता हूं कि पूरे (बाबरी मस्जिद विध्वंस) अभियान में उनकी क्या भूमिका थी? उन्होंने कहा कि बीजेपी का मानना ​​है कि बाबरी ढांचा विध्वंस हिंदुओं की सहज प्रतिक्रिया थी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने न तो इसके लिए कोई श्रेय लिया और न ही अब इसकी मांग करती है. उन्होंने कहा कि धार्मिक नेताओं ने अयोध्या आंदोलन शुरू किया था. पाटिल की टिप्पणी के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मांग की थी कि मुख्यमंत्री शिंदे, जो खुद शिवसेना कार्यकर्ता हैं, या तो खुद पद छोड़ दें या पाटिल को इस्तीफा देने के लिए कहें. बाल ठाकरे को अक्सर यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि अगर उनकी पार्टी का कोई कार्यकर्ता मस्जिद के विध्वंस में शामिल होता तो वह गर्व महसूस करते. 


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