Bulli Bai App Case: 'बुली बाई' ऐप मामले से जुड़े आरोपियों को कोर्ट ने किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया है. बांद्रा कोर्ट ने इस मामले से जुड़े तीनों आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. इस मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों में विशाल कुमार झा, श्वेता सिंह और मयंक रावत शामिल हैं.
इससे पहले, पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध करते हुए दावा किया था कि आरोपियों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के लिए सिख समुदाय से संबंधित नामों का इस्तेमाल समाज में शांति भंग करने के इरादे से किया है. पुलिस ने अदालत से कहा कि तीनों आरोपी ट्विटर, इंस्टाग्राम और जीमेल पर कई सोशल मीडिया अकाउंट संचालित कर रहे थे. साइबर सेल ने कहा है कि अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने वाले कई खातों को हटा दिया गया या निलंबित कर दिया गया और इस संबंध में अभी जानकारी जुटानी है.
मुंबई पुलिस ने की पांचवी गिरफ्तारी
मुंबई पुलिस ने इस मामले में एक अन्य आरोपी को ओडिशा से गिरफ्तार किया है. इस मामले में आरोपी नीरज सिंह को मुंबई क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है. अधिकारी ने कहा, ‘नीरज की भूमिका इस मामले में पहले गिरफ्तार किये गये आरोपियों से पूछताछ में सामने आयी. पूछताछ के बाद साइबर थाने की एक टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए ओडिशा भेजी गयी थी.’’ पुलिस ने बताया कि नीरज सिंह एमबीए डिग्री होल्डर है.
क्या है पूरा मामला
मुंबई पुलिस ने उन महिलाओं की शिकायतों के बाद प्राथमिकी दर्ज की, जिन्हें 'बुली बाई' ऐप में निशाना बनाया गया था. ऐप में कई मुस्लिम महिलाओं के विवरण सार्वजनिक किए गए थे. इस बीच, दो और लोगों - नीरज बिश्नोई और ओंकारेश्वर ठाकुर - को मामले में पूछताछ के लिए ‘ट्रांजिट रिमांड’ पर बृहस्पतिवार को मुंबई लाया गया था. इन दोनों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
बिश्नोई को दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज ‘बुली बाई’ ऐप से जुड़े एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था जबकि ठाकुर को 'सुली डील’ ऐप मामले में गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने बिश्नोई को असम से गिरफ्तार किया था और उसका दावा है कि वह ‘बुली बाई’ ऐप का मुख्य निर्माता है. बिश्नोई और ठाकुर को बांद्रा मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया जहां उन्हें 27 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
क्या है बुल्ली बाई एप
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म ‘गिटहब’ पर मौजूद ‘बुल्ली बाई’ ऐप पर सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उन्हें ‘नीलामी’ के लिए डालने की शिकायतें सामने आने के बाद मुंबई पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. हालांकि, ऐप पर कोई वास्तविक ‘नीलामी’ या ‘बिक्री’ नहीं की गई, लेकिन माना जा रहा है कि इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य लक्षित महिलाओं को डराना और अपमानित करना था.
यह भी पढ़ें
Snake In Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के चेंबर में मिला 4 फुट लंबा सांप
Inflammatory speech case: कालीचरण महाराज को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने दिया ये फैसला