आरएसएस नेता भैयाजी जोशी की तरफ से मराठी भाषा पर दिए बयान पर महाराष्ट्र में सियासी हंगामा शुरू हो गया. इस बीच भैयाजी जोशी ने कहा कि कल मुंबई के घाटकोपर में उनके वक्तव्य को लेकर गलतफहमी हुई है. यह सवाल ही नहीं उठता कि मराठी महाराष्ट्र की भाषा नहीं है. मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. हर राज्य की अपनी अलग पहचान है.
मराठी भाषा पर मुझे सम्मान है- जोशी
इसके आगे उन्होंने कहा, "भारत विविध भाषा को लेकर चलता है लेकिन जो लोग महाराष्ट्र आते हैं उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह मराठी भाषा को सीखें. मैं स्वयं मराठी भाषी हूं. मराठी मेरी भी भाषा है. मराठी भाषा पर मुझे सम्मान है. मराठी भाषा आन-बान और सम्मान की भाषा है."
क्या है पूरा मामला?
मुंबई में बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान भैयाजी जोशी ने कहा था, "ये जरूरी नहीं कि हर किसी को मराठी सीखनी चाहिए." इस बयान के बाद महाराष्ट्र में सियासी हंगामा शुरू हो गया.
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
इस बयान का मामला महाराष्ट्र विधानसभा तक पहुंच गया. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आरएसएस नेता के बयान पर सदन में कहा कि मुंबई और पूरे राज्य की भाषा मराठी है. मराठी राज्य की संस्कृति और पहचान का हिस्सा है और ये सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वो मराठी सीखें." मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद विधानसभा में शिवसेना (UBT) और बीजेपी विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी.
भैयाजी जोशी के खिलाफ दर्ज हो देशद्रोह का मुकदमा- उद्धव
इस बीच शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि भैयाजी जोशी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए. महाविकास अघाड़ी ने नेता हुतात्मा चौक पहुंचे और वहां पर पुष्पांजलि अर्पित की. 1955 में मुंबई को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन में करीब 106 लोगों ने शहादत दी थी. इन्हीं शहीदों की याद में हुतात्मा स्मारक का निर्माण किया गया है.
इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा- आव्हाड
शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने भी इस मुद्दे पर भैयाजी जोशी पर निशाना साधते हुए कहा, “अब ऐसा लग रहा है कि मुंबई में सिर्फ ‘केम छो, केम छो’ ही सुनने को मिलेगा. यह बयान मुंबई को भाषाई आधार पर बांटने की कोशिश है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
आदित्य ठाकरे ने भी साधा निशाना
शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “मुंबई और महाराष्ट्र की पहली भाषा मराठी है. जैसे तमिलनाडु में तमिल का महत्व है. मराठी हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है. घाटकोपर को गुजराती बहुल क्षेत्र बताना अस्वीकार्य है. मुंबई की भाषा मराठी ही है और रहेगी.”
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