Bilkis Bano Case: शिवसेना गुट के नेता जीतेंद्र आव्हाड ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जताई खुशी, बोले- 'लोगों को लगा बिलकिस मर गई है लेकिन...'
Bilkis Bano Case: जीतेंद्र आव्हाड ने कहा कि वह बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि बिलकिस बानो ने अनुरोध किया था कि सुनवाई महाराष्ट्र में हो, क्योंकि उनको राज्य पर भरोसा था.
Jitendra Ahwad on Bilkis Bano Case: साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ हुए गैंगरेप और उसके परिजनों की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सभी दोषियों को सजा में छूट दे दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के आदेश को सरासर मनामाना करार देते हुए कहा कि यह अदालत का कर्तव्य है कि ऐसे आदेशों को जल्द से जल्द सही किया जाए ताकि जनता का विश्वास न्याय पालिका में बरकरार रखा जा सके. अब महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव गुट के नेता जीतेंद्र आव्हाड की इस फैसले पर प्रतिक्रिया आई है औऱ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है.
जीतेंद्र आव्हाड ने कहा, 'बिलकिस बानो मामले का फैसला स्वागत करता हूं. गुजरात की सांप्रदायिक संस्कृति को झटका लगा है. लोगों को लगा कि बिल्किस मर गई है, लेकिन वह बच गई और उसके बाद कैसे वह लड़ी. कोर्ट के इस फैसले का सभी स्वागत करते हैं.'
जीतेंद्र आव्हाड ने बिलकिस बानो को लेकर कहा कि एक महिला से 14 लोगों ने रेप किया, उसके 12 परिजनों की हत्या कर दी. ऐसा अमानवीय नरसंहार देश के इतिहास में इससे पहले नहीं देखा गया था. दोषियों को लगा था कि बिलकिस मर चुकी है, उसे छोड़ दिया गया इसलिए वह बच गई. बिलकिस जीवित रही और 22 साल तक उसने यातनाएं झेलीं औऱ यह केस भी लड़ा.
जीतेंद्र आव्हाड ने याद दिलाया कि बिलकिस बानो ने कई बार अनुरोध किया था कि सुनवाई महाराष्ट्र में हो और फैसला महाराष्ट्र में होना चाहिए क्योंकि उनको इस राज्य पर ज्यादा भरोसा था. आरोपियों को सजा भी हुई, लेकिन गुजरात सरकार ने इस फैसले को पलट दिया और दोषियों को रिहा कर दिया. यह सरकार का कर्तव्य नहीं है, इसलिए आव्हाड ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.
गुजरात नहीं महाराष्ट्र सरकार ले सकती है फैसला
जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा है कि दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती, बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी. कोर्ट ने कहा कि जहां अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का भी फैसला कर सकता है, गुजरात सरकार यह आदेश देने के लिए सक्षम नहीं थी.