Maharashtra Monsoon session: विधानसभा और विधान परिषद में 17 जुलाई (सोमवार) से मानसून सत्र शुरू हो गया है. सदन में धन आवंटन के मुद्दे पर चर्चा हो रही है. विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि सत्ताधारी पार्टी विधायकों को फंड आवंटित करने में भेदभाव कर रही है. इसी बीच जब ये विवाद चल रहा था तो बीजेपी के विधायक सुरेश धस ने अपनी ही सरकार को खरी-खोटी सुनाई.


बीजेपी विधायक ने की कार्रवाई की मांग
किसानों के सवाल उठाने के दौरान कृषि मंत्री या संबंधित जिम्मेदार अधिकारी हॉल में मौजूद नहीं थे, जिससे बीजेपी विधायक सुरेश धस का पारा चढ़ गया. सुरेश धस ने यह भी मांग की कि जो मंत्री और अधिकारी हॉल में देर से आते हैं उन्हें समझाना चाहिए.


क्या बोले बीजेपी विधायक सुरेश धस?
इस मौके पर सुरेश धस ने कहा, 'हालांकि हमारे पास कार नहीं है, लेकिन हम टैक्सी लेते हैं और समय पर यहां आते हैं.' हम तीन-तीन जिलों से चुने गये हैं. यहां विधानसभा से भी कुछ लोग चुने जाते हैं. हम क्या पागल हैं? आओ और यहीं बैठो. कोई मंत्री नहीं हैं... कोई अधिकारी नहीं... वे दस मिनट देर से आये. उन्हें समझना चाहिए. यह सर्वोच्च सदन है. क्या हम हॉल में फुटबॉल खेलने आते हैं? बताओ कृषि विभाग का कौन सा जिम्मेदार अधिकारी यहां आया है. हम आत्महत्या जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात कर रहे हैं.” 


फंड आवंटन का मुद्दा
महाराष्ट्र विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान विधायकों को फण्ड देने का मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है. वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद, अजित पवार ने अपने साथ शामिल हुए बागी एनसीपी विधायकों के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अधिक विकास निधि आवंटित करना शुरू कर दिया है. बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) गुट के विधायकों को भी फायदा पहुंचाया गया है. शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट के विधायकों ने इस फंड आवंटन पर गड़बड़ी का दावा किया है.


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