Maharashtra: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधान पार्षद (एमएलसी) गोपीचंद पडालकर द्वारा राज्य के गृह राज्यमंत्री शंभूराज देसाई और सदन की उपसभापति नीलम गोरे के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी किए जाने को लेकर बुधवार को विधान परिषद की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. बाद में पडालकर ने सदन में माफी मांगी और गोरे ने एमएलसी की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया.


सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी. इसी दौरान पडालकर ने कथित तौर पर देसाई का संदर्भ देते हुए कुछ टिप्पणी की. इस पर देसाई ने आपत्ति जताई और उनका समर्थन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पार्षद सतीश चव्हाण ने किया. चव्हाण ने पडालकर से माफी की मांग की लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया.


हंगामे के बाद मांगी माफी


गोरे के हस्तक्षेप के बावजूद, सदन में पडालकर की टिप्पणी को लेकर हंगामा जारी रहा, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही दो बार, पहले 10 मिनट के लिए और दूसरी बार सात मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी. सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई तो पडालकर ने कहा, ‘‘मैंने अनजाने में ही कुछ विधान पार्षदों की भावना आहत की, इसके लिए मैं माफी मांगता हूं. मेरी मंशा किसी पर निजी टिप्पणी करने या अपमानित करने की नहीं थी.’’


इसके बाद सदन की कार्यवाही एक बार फिर 15 मिनट के लिए उस समय स्थगित करनी पड़ी जब विपक्षी सदस्यों ने नवाब मलिक को धन शोधन के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर हंगामा किया.


नवाब मलिक के इस्तीफे की उठी मांग


विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने कहा, ‘‘नवाब मलिक वर्ष 1993 के मुंबई धमाके से जुड़े लोगों से जमीन खरीदने के आरोपों का सामना कर रहे हैं. वह इस समय जेल में हैं, ऐसे में वह सदन में सवालों का जवाब कैसे देंगे. उन्हें उनके पद से हटाया जाना चाहिए.’’


विधान परिषद के सभापति रामराजे नाइक नीमबाल्कर ने दरेकर की मांग को खारिज करते हुए सदन में आगे की कार्यवाही शुरू की. इसका दरेकर और अन्य भाजपा विधान पार्षदों ने विरोध किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. विपक्षी सदस्य आसन के सामने आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी. इसपर सभापति नीमबाल्कर ने पहले पांच मिनट के लिए और बाद में गोरे ने 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.


बाद में विपक्षी सदस्यों ने मलिक को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया. गौरतलब है कि वरिष्ठ राकांपा नेता मलिक को ईडी ने 23 फरवरी को भगोड़े माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों की गतिविधि से जुड़े धन शोधन के मामले में गिरफ्तार किया था. अदालत ने उन्हें सोमवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया.


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