Watch: मुंबई में अवैध फिल्म स्टूडियो पर चला प्रशासन का बुलडोजर, देखें वायरल वीडियो
BMC Demolishes Film Studios: मुंबई में बीएमसी ने कार्रवाई करते हुए एक अवैध फिल्म स्टूडियो पर बुलडोजर चला दिया है. इसका एक वीडियो भी सामने आया है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है.
Film Studios Demolishes: मुंबई नगर निगम (BMC) ने शुक्रवार (7 अप्रैल) सुबह मुंबई के मध-मारवे इलाके में एक "अवैध रूप से निर्मित" फिल्म स्टूडियो को ध्वस्त कर दिया. अदालत के आदेश के बाद अवैध संपत्ति को ढहाने के लिए बुलडोजर चलाया गया. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
एनजीटी के आदेश पर कार्रवाई
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने शुक्रवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा उन्हें अवैध मानते हुए एक आदेश पारित करने के बाद मुंबई के मध-मारवे क्षेत्र में फिल्म स्टूडियो को ध्वस्त करना शुरू कर दिया. इन स्टूडियोज ने अनुमतियों का गलत इस्तेमाल किया और अस्थायी के बजाय स्थायी ढांचे का निर्माण किया.
#WATCH | BMC action against "illegally built" film studios in Madh area of Mumbai following court orders pic.twitter.com/Orn1k7W1j4
— ANI (@ANI) April 7, 2023
बीजेपी नेता का उद्धव ठाकरे पर निशाना
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उन्हें पता था कि संरचनाएं अवैध थीं, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने अस्थायी ढांचों के नाम पर अवैध अनुमति दी थी. “हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया जिसने बीएमसी से सवाल किया कि अवैध निर्माण की अनुमति कैसे दी गई. मैंने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से इसकी जांच का आदेश देने का अनुरोध किया है.'
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि उन्होंने पाया कि अनुमति केवल संबंधित उद्देश्य के लिए एक अस्थायी संरचना स्थापित करने के लिए थी.हालांकि, फिल्म स्टूडियो ने विशाल संरचनाएं स्थापित की थीं जिनमें बहुत सारे स्टील और कंक्रीट सामग्री का उपयोग किया गया था.
"हमारे आकलन में, इस तरह की संरचनाओं को उनके आकार और उपयोग की गई सामग्री से अस्थायी प्रकृति का नहीं माना जा सकता है, लेकिन स्टूडियो ने दावा किया कि ये संरचनाएं पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करके तैयार की गई थीं, इसलिए, और उन्हें अस्थायी प्रकृति का माना जाना चाहिए. हम इस तर्क से सहमत नहीं हैं और पाते हैं कि इस प्रकार की संरचनाएं अस्थायी अनुमति के अनुदान का उल्लंघन दर्शाती हैं, "एनजीटी के आदेश में कहा गया है. "इस मामले में, घोर उल्लंघन है क्योंकि उन्होंने निर्माण बढ़ाने के लिए अस्थायी अनुमति देने के लिए आगे आवेदन करने से पहले विचाराधीन संरचनाओं को नहीं हटाया."