मुंबई: यहां के शिवाजी पार्क (Shivji Park of Mumbai) में शिव सेना (Shiv Sena) की दशहरा रैली (Dussehra Rally) को लेकर उसके दोनों गुटों में खींचतान के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. उद्धव ठाकरे गुट ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में रैली की इजाजत देने को लेकर बीएमसी (BMC)की ओर से की जा रही देरी के खिलाफ याचिका बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उद्धव गुट ने अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है. इस गुट ने बीएमसी पर जानबूझकर दशहरा रैली की इजाजत में देरी करने का आरोप लगाया गया है. उद्धव गुट की याचिका पर बीएमसी आज अपना पक्ष दाखिल करेगा.
किसने दायर की है याचिका
शिव सेना के उद्धव गुट की ओर से यह याचिका उसके सचिव अनिल देसाई ने एडवोकेट जोएल कार्लोस के माध्यम से दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि पार्टी हाईकोर्ट का रुख करने के लिए मजबूर है क्योंकि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने अब तक रैली की अनुमति के लिए अगस्त में भेजे गए उसके आवेदनों पर निर्णय नहीं लिया है. इस याचिका में शिवाजी पार्क में शिवसेना की दशहरा रैली के आयोजन के लिए बीएमसी को तत्काल इजाजत देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
शिव सेना की याचिका पर कब होगी सुनवाई
बुधवार को जस्टिस आरडी धानुका की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के सामने याचिका का उल्लेख किया गया. इसमें याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया है. पीठ ने इसे गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. देसाई ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी पार्टी 1966 से शिवाजी पार्क में हर साल दशहरा रैली का आयोजन कर रही है. बीएमसी ने हमेशा इसकी अनुमति दी है.
दशहरा रैली के लिए उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट विकल्प के रूप में बांद्रा कुर्ला कांप्लैक्स (बीकेसी) के एमएमआरडीए मैदान में रैली करने की अनुमति मांगी है. एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना को बांद्रा कुर्ला कांप्लैक्स (बीकेसी) मैदान में दशहरा रैली करने की अनुमति मिल गई है,लेकिन उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना को अभी तक किसी मैदान की अनुमति नहीं मिली है.शिंदे गुट ने भी शिवसेना के पारंपरिक रैली स्थल शिवाजी पार्क का दावा भी अभी छोड़ा नहीं है.
शिव सेना में बगावत
शिवसेना विधायक और उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री रहे एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार जून में गिर गई थी. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.
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