'पत्नी को ताना देना, उसे TV न देखने देना क्रूरता नहीं', बॉम्बे HC की अहम टिप्पणी
Bombay HC News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला की खुदकुशी मामले में दोषी ठहराए गए एक शख्स और उसके परिवार को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पड़ोसी के साथ घुलने-मिलने से रोकना उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता.
Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला की खुदकुशी के मामले में सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी को ताना मारने, उसे अकेले मंदिर नहीं जाने देने या कालीन पर सुलाने के आरोपों को आईपीसी की धारा 498 ए के तहत 'क्रूरता' नहीं माना जा सकता है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने आईपीसी की धारा 498ए के साथ-साथ 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दोषी ठहराए गए एक शख्स और उसके परिवार को बरी कर दिया. कथित तौर पर उनके ताना देने और अन्य कार्यों के कारण 2002 में एक महिला ने आत्महत्या कर ली थी.
महिला की खुदकुशी मामले में बॉम्बे HC की टिप्पणी
बेंच अप्रैल 2004 में एक निचली अदालत की ओर दोषी ठहराए गए आरोपियों की अपील पर मामले की सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट के 17 अक्टूबर के आदेश के अनुसार, आरोपी के खिलाफ आरोपों में मृतक महिला को उसके द्वारा पकाए गए भोजन के लिए ताना देना, उसे पड़ोसियों के साथ बातचीत करने या अकेले मंदिर में जाने की अनुमति नहीं देना, उसे टीवी देखने की अनुमति नहीं देना, उसे कालीन पर सुलाना शामिल था.
आदेश में यह भी कहा गया कि आरोप था कि मृत महिला को अकेले कूड़ा फेंकने की अनुमति नहीं थी और उसे आधी रात को पानी लाने के लिए भी कहा जाता था. कोर्ट ने कहा, क्रूरता के ऐसे आरोपों को संबंधित धारा के तहत गंभीर नहीं माना जा सकता है, क्योंकि यह घरेलू मामलों से संबंधित है.'' इस प्रकार, अदालत ने कहा कि इसे कानून के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है.
सिर्फ कालीन पर सोना क्रूरता नहीं माना जाएगा- HC
रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने यह भी तर्क दिया कि क्रूरता, जो या तो मानसिक या शारीरिक हो सकती है, सापेक्षिक है और इसका उपयोग स्ट्रेटजैकेट तरीके से नहीं किया जा सकता है. जस्टिस अभय एस वाघवासे ने अपने आदेश में लिखा, ''सिर्फ कालीन पर सोना भी क्रूरता नहीं माना जाएगा. इसी तरह किस तरह की फब्तियां कसीं, पड़ोसी के साथ घुलने-मिलने से रोकना भी उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता.''
ये आरोप आत्महत्या का तत्काल कारण नहीं- हाईकोर्ट
जज ने गवाही के आधार पर यह भी कहा कि जिस गांव में महिला और उसके ससुराल वाले रहते थे, वहां आधी रात को पानी की आपूर्ति होती थी और सभी घरों में रात में 1:30 बजे पानी आता था. महिला के ससुराल वालों की गवाही के आधार पर कोर्ट ने कहा, ''आरोपों को आत्महत्या का तत्काल कारण नहीं माना जा सकता क्योंकि मृतक अपना जीवन समाप्त करने से लगभग दो महीने पहले अपने ससुराल गई थी. आत्महत्या किस कारण से हुई यह एक रहस्य बना हुआ है.''
ये भी पढ़ें: