'विवाहित महिला ये दावा नहीं कर सकती कि शादी के बहाने रेप हुआ', बॉम्बे HC की टिप्पणी
Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सबसे पहले, सूचना देने वाली महिला खुद एक विवाहित महिला है. वो यह दावा नहीं कर सकती कि वह शादी के झूठे वादे का शिकार हो गई.
Bombay High Court News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार (26 सितंबर) को कहा कि एक विवाहित महिला ये दावा नहीं कर सकती कि वह किसी शख्स की ओर से शादी के झूठे वादे का शिकार हुई और उस आधार पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी. [विशाल नागनाथ शिंदे बनाम महाराष्ट्र राज्य]।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंगल जज जस्टिस मनीष पितले ने रेप के एक मामले में पुणे पुलिस की ओर से गिरफ्तार एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, "सबसे पहले, सूचना देने वाली महिला खुद एक विवाहित महिला है. वो यह दावा नहीं कर सकती कि वह आवेदक द्वारा दिए गए शादी के झूठे वादे का शिकार हो गई. एक विवाहित महिला होने के नाते, वह स्पष्ट रूप से जानती थी कि वह उस व्यक्ति से शादी नहीं कर पाएगी.''
शादी के झूठे वादे का सिद्धांत गलत-हाई कोर्ट
कोर्ट ने आगे कहा, ''मामले में, यहां तक कि आवेदक एक विवाहित व्यक्ति है और इसलिए, शादी के झूठे वादे का सिद्धांत प्रथम दृष्टया गलत प्रतीत होता है.'' अदालत विशाल नागनाथ शिंदे की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर भारतीय दंड संहिता के तहत रेप और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया था.
शिकायतकर्ता एक विवाहित महिला है. वहीं विशाल नागनाथ शिंदे नाम के जिस शख्स पर आरोप है वो भी शादी-शुदा है. महिला ने आरोप लगाया कि शिंदे ने उसके साथ दोस्ती की और उससे शादी करने का वादा किया, जिसके बाद उसने कथित तौर पर एक लॉज में उसके साथ जबरदस्ती की.
घटना के बाद, उसने दावा किया कि उसने हमले के वीडियो प्रसारित करने की धमकी दी. शिंदे के वकील ने दलील दी कि उन्होंने जांच में सहयोग किया है. उन्होंने खासकर उनकी वैवाहिक स्थिति को देखते हुए महिला के दावों की विश्वसनीयता पर भी चिंता जताई.
अदालत को सूचित किया गया कि उन्होंने अंतरिम राहत शर्तों का पालन किया है, नियमित रूप से पुलिस स्टेशन में उपस्थित हो रहे हैं और जांच के लिए अपना मोबाइल फोन भी जमा कर दिया है. जबकि राज्य के वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने पूरी तरह से सहयोग नहीं किया था, अदालत को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जो यह दर्शाता हो कि उन्होंने महिला के किसी भी वीडियो को प्रसारित किया था.
नतीजतन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने विशिष्ट शर्तों के अधीन उन्हें अग्रिम जमानत दे दी. शिंदे की ओर से वकील नागेश सोमनाथ खेडकर और शुभम साने पेश हुए. एडिशनल लोक अभियोजक बलराज बी कुलकर्णी ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया.
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