Bombay High Court Order: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को एक याचिकाकर्ता को एक अनोखा निर्देश दिया है. अदालत ने कहा है कि वह मुंबई मेट्रो लाइन 7 पर एक स्टेशन का नाम "डिंडोशी" से "पठानवाड़ी" में संशोधित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में 1 लाख रुपये जमा करे. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मकरंद एस कार्णिक की खंडपीठ अधिवक्ता साहूद अनवर नकवी द्वारा दायर नई रोशनी सामाजिक संगठन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिका में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) द्वारा पारित 18 जुलाई, 2019 के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें मुंबई मेट्रो की लाइन 2ए और 7 पर स्टेशनों के नामों को संशोधित करने की मांग की गई थी. जनहित याचिका में दावा किया गया था कि "पठानवाड़ी" मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर "डिंडोशी" करना "मेट्रो स्टेशनों के नामकरण से संबंधित एमएमआरडीए द्वारा बनाई गई नीति का सरासर उल्लंघन" था.
याचिकाकर्ता ने लगाया था ये आरोप
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अनुचित राजनीतिक दबाव और दो विधायकों अतुल भाटखलकर और सुनील प्रभु के अनुरोधों के तहत, "पठानवाड़ी" नाम को "डिंडोशी" में संशोधित किया गया था, जबकि आरटीआई के जवाब में कहा गया था कि डिंडोशी एक राजस्व गांव है और निकटतम वाडी नहीं है. याचिका में कहा गया है कि नाम बदलना "मनमाना" था, "पठानवाड़ी" के निवासियों की भावनाओं को प्रभावित करता है और निवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ था.