Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को तीन सप्ताह के भीतर एक सफाईकर्मी की विधवा को 10 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है. दरअसल महिला का पति एक मेहतर था और मैला ढोने का काम करता था, जिससी मई 2017 में अंधेरी ईस्ट के चांदीवली इलाके में एक मैनहोल के अंदर गिरने से मौत हो गई थी. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति माधव जामदार की बैंच ने 25 वर्षीय संजना पवार की याचिका पर यह आदेश पारित किया. उन्होंने 15 मार्च 2014 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए, जिसमें कहा गया था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सीवर से होने वाली मौतों के मामले में मरने वाले के परिजनों को 10 लाख रुपए का भुगतान करना होगा, पीड़ित परिवार को 10 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया.
संजना के पति सचिन 2014 में मेहतर के रूप में बीएमसी में कॉन्ट्रेक्ट पर काम करते थे. 11 मई 2017 को सचिन का सहकर्मी अपना मोबाइल निकालने की कोशिश में मैनहोल में गिर गया था, उसे बचाने की कोशिश में सचिन भी सीवर में गिर गए और उनकी मौत हो गई. साकीनाका पुलिस से लिए गए जांच के कागजात के आधार पर न्यायधीशों ने कहा कि जांच रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि मैला ढोने के दौरान ही सचिन की मौत हुई है.
वहीं, बीएमसी के वकील ने कहा कि सचिन न तो उसके कर्मचारी थे और न ही उसके ठेकेदार. इस पर न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने फटकार लगाते हुए कहा कि हम इस तरह के रवैये की निंदा करते हैं. वह आपके लिए काम करने वाले व्यक्ति थे. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुईं अधिवक्ता नेहा भिड़े ने 12 दिसंबर 2019 का एक सरकारी प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह ठेकेदार सहित संस्थाओं और व्यक्तियों को राशि का भुगतान करने की जिम्मेदारी देता है.
जस्टिश मोहित-डेरे ने कहा कि निगम और राज्य हाथ खडे़ कर रहे हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना राज्य का कर्तव्य है. 10 लाख के मुआवजे का आदेश देते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पुनर्वा3स और अन्य पहलुओं के लिए बी निर्देश हैं.
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