BMC Seat Issue : बॉम्बे हाइ कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बीएमसी की सीटों को बढ़ाए जाने के फैसले को चुनौति दी गई थी. याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एए सैयद और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने की. ये याचिका कोर्ट में बीजेपी अभिजीत सामंत और राजश्री शिरवाडकर की ओर से दायर की गई थी. कोर्ट में दायर याचिका में राज्यपाल भगत द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद बीएमसी में सीटों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने की राज्य शहरी विकास विभाग की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा, यह प्रस्ताव 2011 की जनगणना पर आधारित है, 10 साल पुराने आंकड़ों के आधार पर महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम में बदलाव करना गैरकानूनी है. इस पर पार्षदों की संख्या में किया गया बदलाव बिना किसी नई जनसंख्या के आंकड़े या मात्रात्मक आकड़ों के लिए गया है. वहीं, इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि यह फैसला जनसंख्या में वृद्धि के समान अनुपात के मद्देनजर लिया गया. सरकार की ओर से कहा गया कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार, बीएमसी क्षेत्र में जनसंख्या 1.24 करोड़ थी और 3.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और इसलिए, पार्षदों (नौ) की संख्या में वृद्धि जनसंख्या के अनुपात में है और याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि जल्द ही बीएमसी में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में चुनावों से पहले इसकी सीटों को बढ़ाया गया था. बीएमसी में पहले 227 सीटें थी जिसे बढ़ती जनसंख्या को आधार बनाते हुए बढ़ाकर 236 कर दिया गया था. ऐसा पहली बार नहीं है जब बीएमसी की सीटों को बढ़ाया गया है. इससे पहले साल 1991 से 2001 के बीच में जनसंख्या में 22.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी, जिसके बाद 6 सीटों को बढ़ाया गया था. उस दौरान मौजूदा सीटों को 221 से 227 कर दिया गया था. इसी के मद्देनजर अब सीटों को बढ़ाया गया है. हालांकि याचिकाकर्ता ने इसे भी अपनी याचिका में उठाया था कि जिस दौरान जनसंख्या में 22.1 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी, उस दौरान केवल 6 सीटें बढ़ाई गई थी. फिर अब जब 10 साल पुराने आंकड़े को पैमाना बनाया गया है, उसमें केवल 3.87 प्रतिशत जनसंख्या में वृद्धि हुई है तो इस दौरान 9 सीटे क्यों बढ़ाई गई. हालांकि कोर्ट ने याचिका के सभी पहलुओं को सुनने के बाद उसे खारिज कर दिया.