Bombay High Court से बीजेपी नेता नारायण राणे को झटका, BMC के नोटिस को खारिज करने से किया इनकार
Narayan Rane Plea: बीजेपी नेता नारायण राणे की बीएमसी नोटिस के खिलाफ दी गई याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हालांकि अदालत ने उन्हें 6 और हफ्तों की राहत दे दी है.
Bombay High Court On Narayan Rane Bunglow: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे (Narayan Rane) के स्वामित्व वाली कंपनी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आदेश को चुनौती दी गई थी. इसमें उनके आठ मंजिला जुहू बंगले में कथित रूप से अनाधिकृत संरचनाओं को बनाए रखने से इनकार किया गया था. हालांकि, न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति एमजी सेवलीकर की खंडपीठ ने राणे के बंगले पर "जबरदस्ती कार्रवाई" से सुरक्षा को छह सप्ताह के लिए बढ़ा दिया ताकि राणे की कंपनी इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे सके.
बीएमसी ने इस साल मार्च में कालका रियल एस्टेट लिमिटेड को एक नोटिस जारी किया, जिसमें 15 दिनों के भीतर परिसर में कथित अनधिकृत निर्माण को हटाने का निर्देश दिया गया था, जिसमें विफल रहने पर नागरिक निकाय ने कहा कि वह उन हिस्सों को ध्वस्त कर देगा और मालिकों/ कब्जाधारियों से शुल्क वसूल करेगा.
याचिका में कही गई ये बात
याचिका में कहा गया है कि इस मामले में नोटिस आर्टलाइन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जारी किया गया था. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के 2017 के आदेश के अनुसार, आर्टलाइन को याचिकाकर्ता की कंपनी कालका रियल एस्टेट्स में विलय कर दिया गया, जिसमें राणे के परिवार के शेयर हैं. कंपनी के मालिक के रूप में राणे परिवार बंगले में रहता था. हालांकि, चूंकि परिसर कंपनी के स्वामित्व में था, इसलिए इसके माध्यम से याचिका दायर की गई थी, याचिका में कहा गया है.
नोटिस को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने नागरिक निकाय को निर्देश दिया था कि जब तक वह अपने नियमितीकरण आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता, तब तक वह किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई नहीं करेगा. अदालत ने कहा था कि यदि बीएमसी द्वारा पारित आदेश याचिकाकर्ता के खिलाफ या प्रतिकूल है, तो याचिकाकर्ता द्वारा इस तरह के आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीन सप्ताह तक कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. उक्त राहत 24 जून तक जारी है.
हाईकोर्ट द्वारा मिली प्रोटेक्शन 24 जून को हो रही समाप्त
बीएमसी ने 3 जून को नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया और चूंकि एचसी द्वारा दी गई सुरक्षा 24 जून को समाप्त हो रही है, राणे ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की. न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति एम जी सेवलीकर की खंडपीठ ने गुरुवार को अगली सुनवाई निर्धारित की. राणे ने अपनी याचिका में कहा कि बीएमसी ने यह कहते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया कि बंगले की योजना फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) से मुक्त थी और विकास नियंत्रण विनियम (डीसीआर) के अनुसार इसकी अनुमति नहीं है.
बीएमसी के वकील ने याचिका का किया विरोध
इसके अलावा, राणे ने कहा था कि उनकी याचिका को खारिज करने का एक और आधार कथित अनधिकृत काम के प्रस्तावित नियमितीकरण के लिए महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) से पूर्व-मंजूरी प्राप्त नहीं होना था और इसे अस्वीकृति आदेश जारी करने से पहले उठाया जाना चाहिए था. याचिका में आवेदन की अस्वीकृति और संरचना को बनाए रखने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी. हालांकि, बीएमसी के वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि उसका आदेश उचित था और इसे रद्द नहीं किया जा सकता.