Bombay High Court: महाराष्ट्र Public Prosecutor एग्जाम को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी किया ये जरूरी निर्देश, आपने पढ़ा क्या?
Bombay High Court On Public Prosecutor Exam 2022: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य को निर्देशित किया है कि पब्लिक प्रॉसीक्यूटर परीक्षा को इंग्लिश भाषा के साथ ही मराठी भाषा में भी आयोजित किया जाए.
Bombay High Court Gave Instructions To Conduct Public Prosecutor Exam in Marathi Also: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को निर्देशित किया है कि वे इस बात का ख्याल रखें कि राज्य में पब्लिक प्रॉसीक्यूटर परीक्षा (Maharashtra Public Prosecutor Exam 2022) इंग्लिश के साथ-साथ मराठी भाषा में भी आयोजित की जाए. कोर्ट ने कहा कि ये आदेश 11 सितंबर को हुई परीक्षा से लागू नहीं किया जा सकता लेकिन इसे आने वाली परीक्षा से अमल में लाया जाए.
12 साल पहले जारी हुए थे निर्देश –
बता दें कि इस परीक्षा को इंग्लिश के साथ-साथ मराठी में भी आयोजित कराने के निर्देश आज से 12 साल पहले जारी हुए थे लेकिन तब से लेकर आज तक इस आदेश का पालन नहीं हुआ. इतने सालों में एग्जाम केवल इंग्लिश भाषा में ही आयोजित किया जाता है. जबकि कई साल पहले ही तय हो गया था कि सबऑर्डिनेट ऑफिसर्स परीक्षा को महाराष्ट्र में मराठी में भी आयोजित किया जाए.
क्या कहना है कोर्ट का –
पीठ ने इस विषय में टिप्पणी करते हुए कहा कि, ‘बारह साल बीत चुके हैं. यह नहीं समझा जा सकता है कि 12 साल बाद भी, सरकार मराठी भाषा में उत्तर पत्रों का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षकों की तलाश कर रही है.’
सुनवाई के दौरान आया फैसला –
न्यायमूर्ति संजय वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा की खंडपीठ 7 सितंबर को प्रताप प्रकाश जाधव की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अधिवक्ता अलंकार किरपेकर के माध्यम से याचिका पेश की थी. उन्होंने कहा कि मैंने मराठी भाषा का अध्ययन किया है और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) और सिविल जज जूनियर डिवीजन (CJJD) की अदालतों के समक्ष कार्यवाही आमतौर पर मराठी भाषा में आयोजित की जाती है. किरपेकर ने कहा कि यह महाराष्ट्र सरकार के लिए ये अनिवार्य था कि वे अंग्रेजी के साथ-साथ मराठी भाषा में परीक्षा का आयोजन कराएं.
अगली परीक्षा के पहले लागू हो जाएगा नियम –
राज्य के अधिवक्ता एमपी ठाकुर ने कहा कि अधिकारी याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार कर रहे हैं और अगली परीक्षा से पहले इसे लागू करने का पूरा प्रयास किया जाएगा. बता दें कि साल 2010 में ये आदेश आया था जिसमें कहा गया था कि ये परीक्षा दोनों भाषाओं में आयोजित होनी चाहिए.
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